विरहन की व्यथा

राह निहारत रैना बीते। नैना अश्रु बहावे।। पीया बिना सखी निंद न आवे। पल पल याद सतावे।। पतझड़ बीत बसंत आइ गयो। मंद पवन अब डोले।। भौंरा गुंजन करे फूल…

समाज को समझने के लिए साहित्य को समझना जरूरी: अच्युतानंद मिश्र

नई दिल्ली। मीडिया विमर्श परिवार की तरफ से रविवार को नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में साहित्यिक पत्रिका ‘अभिनव इमरोज़’ के संपादक देवेन्द्र कुमार बहल को 13वें पं. बृजलाल…

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