विश्व रेडियो दिवस पर सुनो मैं प्रेमचंद कार्यक्रम के 365 दिन पूरे
लखनऊ: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव में घुसते ही एक आवाज सुनाई देती है, सुनो मैं प्रेमचंद। यह आवाज थोड़ी ही देर में प्रेमचंद की कहानियां सुनाने लगती है।…
लखनऊ: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव में घुसते ही एक आवाज सुनाई देती है, सुनो मैं प्रेमचंद। यह आवाज थोड़ी ही देर में प्रेमचंद की कहानियां सुनाने लगती है।…
मैंने महबूब को चांद, कह क्या दिया…! चांद कल रात हमसे, ख़फ़ा हो गया! चांद तनकर ये बोला कि, सुन ”अजनवी” तेरे महबूब में ऐसी, क्या है ख़ुबी…? मैं कहा…
धवल चांदनी छिटक रही है, नूर समेटे बांहों में। चुपके से आ जाओ प्रियतम, नैन निहारे राहों में। मन में विरह का ताप बहुत है, दूर..! निंद का डेरा है।…
दीवाना बन के आया हूँ, तेरे मयखाने में साकी। पीला दे रूप का मदिरा, मुझे दो घूंट ऐ साकी।। मुझे मदहोश कर दे तूँ, पीला के हुस्न का मदिरा। तुम्हें…
सफ़र बहुत ख़ुशनुमा था। रास्ते में किसी तरह का व्यवधान नहीं पड़ा। मंज़िल भी बहुत दूर नहीं थी कि गाड़ी की गति बहुत धीमी हो गयी। तब तक मुझे अहसास…
(अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन, वाराणसी (13-14 नवंबर) के अवसर पर विशेष) एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों…
लखनऊ: राष्ट्रवादी लेखक संघ के तत्वावधान में गांधी पर एक साहित्य वैचारिकी का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से वक्ता और लेखक जुड़े। ‘गांधी: एक पुनर्विचार’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता…
अनुभूत सत्य है कि वैराग्य की संकल्पना सिर्फ़ सिद्धों, संतों को ही नहीं, अपितु सामान्य साधकों, सज्जनों, सद्गृहस्थों को भी सदा से लुभाती रही है। किसी पर्णकुटी, गिरा-गह्वर में धुनी…
छलकते पैमाने हैं, आँखों में तेरी, मुझे मयक़शी का, नशा आ रहा है। निगाहों से कह दो, गिरफ़्तार कर लें, समर्पण करने को, दिल चाहता है। मचलते भ्रमर गुल पे,…
लखनऊ: भारतीय समाज-शास्त्र एक ओर सैद्धान्तिक तौर पर नारी को आदर और सम्मान का पात्र घोषित करता है और “यत्र नार्यन्ति पूज्यंते तत्र रमन्ते देवता” जैसी उद्घोषणाएँ करता है तो…