Poem: तुमको जगना उठना ही होगा

आज काल का चक्र कह रहा तुमको जगना उठना ही होगा। छोड़ जातीयों के कुचक्र भेद ले राष्ट्र भाव जुटना ही होगा।। राम कृष्ण के वंशज हम सब तुलसी, वाल्मीकि,…

Poetry: साबरमती के सन्त

चमचे को ताज देके किया देश को बदहाल, साबरमती के सन्त तूने ये किया कमाल! थीं हाईफाई नीतियां, चेला था हवाई, उसने हमारे देश की संस्कृति ही मिटाई। अंग्रेजियत का…

Poem: प्रकृति भी रंग पसारे है

प्रकृति भी रंग पसारे है, नववर्ष तुम्हारा आलिंगन! फसलें भी स्वर्ण सरीखी सी, आतुर हैं आने को आंगन। जो बीत गईं वो यादें हैं, आएंगी वो है नव जीवन! बीतीं…

Poem: हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे

हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे हारे हुए लोगों के लिए कौन दुनिया बसाएगा, उन पराजित योद्धाओं के लिए, तमाम शिकस्त खाए लोगों के लिए। प्रेम में टूटे हुए लोग, सारी…

Poem: गांव की समस्या, गांव में समाधान

कइसन ई शासन है, कइसन विधान है? समस्या है गांव में, नहीं समाधान है। झूठ बोल रहा अब तो सारा जहान है! पागल अब चोर दिखे, चोरी अब शान है!…

Poem: चली-चला!

निशाना लगाया अचूक, फिर भी साला गया चूक। आया कैसा भूचाल, जितने हम थे वाचाल, उतना है बुरा हाल। हम फेल हो गए, पटरी से उतरी रेल हो गए, टूटी…

Poem: बिन कान में लपेटे

है राजनीति का मेरा बस इतना-सा पैमाना, मोदी को गालियों से भरपूर है खजाना। मुझको सभी कहते हैं विकलांग मानसिक हूं, फिर भी बनूंगा पीएम, मम्मी को है दिखाना। वोटों…

Poem: महाकुंभ की मोनालिसा

मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके। पर यहाँ आये हैं, सब लोग अलग-अलग मन के।। इन्हें कहाँ खरीदने हैं, मेरी माला के मनके। ये निहारना चाहते हैं, मेरे…