Kavita: सभी कविताएं कोमल नहीं होती

सभी कविताएं पुष्पों की भांति कोमल नहीं होती कुछ कविताएं खूंखार कुत्ते की भांति काटने को दौड़ती हैं उनके अंदर करुणा नहीं आक्रोश भरा होता है। कविताएं सीधी गायों की…

Kavita: लें राणा का संकल्प

जिसके जीवन में राष्ट्र प्रथम, जिसके उर में था पला ताप। क्षण-क्षण राष्ट्र समर्पित था जो, रण बांकुरा अमर राणा प्रताप।। सब सुविधाएं त्याग जो बढ़ा, झुका न टूटा कभी…

Kavita: आओ चलें गांव में अपने

आओ चलें गांव में अपने, मिल कर घर द्वार सजाएं। मिलें परस्पर सब नर नारी, ग्रामोत्सव सुखद मनाएं।। यहाँ विरासत पुरखों की है, पितृ कर्म भूमि य़ह मेरी। स्मृतियों की…

Poetry: पुनरोदय का समय आ गया

पुनरोदय का समय आ गया, आओ मिल कर दीप जलाएं। लेकर संकल्प सिद्धि कर पूरी, स्वाभिमान का भाव जगाएं।। जो कुछ छूटा वह सब पायें, जो हुए दूर उनको अपनाएं।…

Poem: जाग रहा भारत फ़िर से

जाग रहा भारत फ़िर से हम जागें, कर पायें सद कर्म प्रभु से यह मांगें। पावन अतीत की थाती का गौरव ले, स्वर्णिम भवितव्य रचायें भ्रम भागें।। गति में मन…

Poetry: खिलखिलाया करो!

तलब इतनी न अपनी बढ़ाया करो, दाग-ए-दिल न किसी को दिखाया करो। गर्म आँसू हैं आँखों में देखो बहुत, घुट-घुटके न जीवन बिताया करो। अच्छे लोगों से दुनिया है भरी-पटी,…

Poem: पक्षी के परों का कंपन

अचानक किसी दिन कविता के साए मंडराने लगते देह के अज्ञात में तब वह अज्ञात सी जेहन में पुकार लगाती, दस्तक देती फिर एक आवाज़ गूंजती कठफोड़वे की ठक ठक…

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