Poetry: काल चक्र चल रहा निरन्तर

काल चक्र चल रहा निरन्तर हर पल कुछ हमसे कहता है। सूक्ष्म दृष्टि का हो जो पारखी भावी से सदा विज्ञ रहता है।। जो भी आज प्रकट होता है बोये…

Kavita: गति को प्रगति

गति को प्रगति प्रगति को मति दे। मति को दृष्टि सुज़न संगति दे।। पौरुष को धैर्य धैर्य को विवेक दे। विवेक को नीति नीति को सम्मति दे।। साहस शील विनय…

Kavita: भारत को भारत ही कहिये

भारत को भारत ही कहिये भारत में ‘भा’रत हुई रहिए। भारत के कोई पर्याय भले हों विश्व को भारत ही चहिए।। भारत तो सत्य सनातन है ‘भा’रत ऋषि ज्ञान पुरातन…

Kavita: भारत के नायक

राम कृष्ण महावीर बुद्ध हैं नानक भारत के नायक। बाल्मीकि वेदव्यास सूर तुलसी हैं भारत के गायक।। भारत से ‘भा’रत है भारत भारत ऋषियों की तपोभूमि। यहाँ हुए भगीरथ से…

Kavita: आओ पुनः जगाएं भारत को

जिनकी रगों में रक्त सनातन जिनके पूर्वज थे ऋषि हमारे, जो भय लोभ से बने विधर्मी हैं फिर भूले संस्कार वे सारे। भूले बिसरे रहे अभी तक मर्यादायें भी सब…

Kavita: विश्व गुरु य़ह भारत वर्ष

बाहों में बल, पैरों में गति, संकल्प अटूट हृदय में हो। धैर्य विवेक लगन के स्वामी, अपनत्व भाव अन्तर में हो।। दुष्ट दलन सामर्थ्य तुम्हारी, दृष्टि से पराभूत भयकारी। हित…

Kavita: एक दृष्टि

‘भा’रत भारत पुनः खड़ा हो, स्वामी विवेकानन्द ने बोला था। स्वर्णिम अतीत को जानेंगे सब, नव स्वाभिमान पथ खोला था।। झंझावातों में बढ़ हम सब ने, है कटक पथ की…

Kavita: एक दृष्टि

हरिशंकरी रोपित करो बनो हरियाली के मित्र जलवायु भी ठीक हो बदले धरती का चित्र बदले धरती का चित्र ताप भी कम हो जाये मानवता के साथ ही पशु पक्षी…

Kavita: भारत भाग्य विधाता

जनगण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता। उत्तर में कैलाश मानसर है गंग सिंधु उद्गाता। दक्षिण में है हिन्दू सागर भारत तरल तरंगा। पूरब में है वंग की खाड़ी…

Poem: द केरल स्टोरी

केरला स्टोरी देखिए करिए दृढ़ संकल्प संस्कार दृढ़ नेम हों न छूटे कोई विकल्प शिक्षा ऊंची चाहिए आंख खोल कर देख मर्यादा टूटे न कभी खींचो लक्ष्मण रेख हो विकास…

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