Book Review: तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन
Book Review: हिंदी के तमाम मूर्धन्य संपादक पत्रकारिता के किसी संस्थान या विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित नहीं थे। किंतु वे अपने आप में प्रशिक्षण संस्थान थे। वे पूरे के पूरे पाठ्यक्रम…
Book Review: हिंदी के तमाम मूर्धन्य संपादक पत्रकारिता के किसी संस्थान या विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित नहीं थे। किंतु वे अपने आप में प्रशिक्षण संस्थान थे। वे पूरे के पूरे पाठ्यक्रम…
Book Review: योग को लोक कल्याण का ध्येय बनाने वाले नाथपंथ पर साहित्य सम्यक ज्ञानकोष के साथ ही अब इतिहास सम्यक, तथ्यपरक शब्द-ज्ञान संसार भी समृद्ध हो रहा है। नाथपंथ…
Book Review: प्रलेक, मुंबई ने अभी-अभी एक पुस्तक प्रकाशित की है। उसका शीर्षक है ‘मॉरीशस और फीजी: विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से।’ इसके लेखक हैं कृपाशंकर चौबे जो हिंदी…
Book Review: लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहाँ…
– बीएल आच्छा कहते हैं कि आलोचकों की मूर्तियां नहीं बनती। पर दौलतपुर (रायबरेली) के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तो अपवाद हैं ही। और साहित्य में लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य…
भारत स्वाधीनता के 75 बसंत पार कर चुका है, जिसमें उसने ग्रीष्म की तपिश के साथ शीत के पाले को भी झेला है। अभी भारत आंतरिक चुनौतियों के साथ-साथ चीन…
संजय द्विवेदी महज एक नाम है। वह नाम नहीं, जिसके आगे प्रोफेसर या डॉक्टर लगा हो। वह नाम नहीं, जिसके बाद महानिदेशक या कुलपति लगा हो। यह नाम है ऐसे…
Book Review: सक्रिय पत्रकारिता की लंबी पारी खेलने के बाद अब मीडिया-गुरु के रूप में सुपरिचित प्रो. संजय द्विवेदी समकालीन विषयों पर निरंतर लिखते रहे हैं। इनका राष्ट्रवादी टोन आकर्षित…
Book Review: भारतीय संस्कृति में कहा जाता है, ‘नयति इति नायक:’, अर्थात् जो हमें आगे ले जाए, वही नायक है। आगे लेकर जाना ही नेतृत्व की वास्तtविक परिभाषा है। भारत…
नारी कोमल हृदय की तिल तिल कठोर वेदना। घर गृहस्थी को हर अमावस पूर्णमासी तौलना। कुछ जोड़ने कुछ पकड़ने चाह। सफल गृहस्थी के सुखी उपाय। अनूप ओझा ये पंक्तियां कवियत्री…