Prerak Prasang: हमारे कर्म से संस्कार की पहचान होती है

Prerak Prasang: एक राजा के पास सुन्दर घोड़ी थी। घोड़ी राजा के लिए पूरी वफादार थी। उसने कई बार युद्व में राजा के प्राण बचाये। कुछ दिनों के बाद इस…

Pauranik Katha: सच्ची श्रद्धा ही तारती है

Pauranik Katha: एक बार नारद जी को किसी ब्राह्मण ने रोका व पूछा- क्या आप ईश्वर से भेंट करने जा रहे हैं? क्या आप उनसे पूछेंगे कि मुझे कब मुक्ति…

Kahani: माता-पिता का प्यार और बच्चे की सोच

Kahani: पिताजी एक माह से बीमार थे। उनके व माँ के कई बार फोन आ चुके थे, किन्तु मैं गाँव नहीं जा पाया। सच कहूँ तो मैं छुट्टियाँ बचने के…

अंतरिक्ष का भी अनुसंधान कर रहे हैं विज्ञान और दर्शन

सम्पूर्ण प्रकृति से आत्मीय व्यवहार श्रेष्ठ है। प्रकृति की शक्तियाँ सुनिश्चित नियमों में गतिशील हैं। वैदिक पूर्वजों ने इस नियम को ऋत कहा है। प्रकृति की तरह मनुष्य को भी…

Kahani: गुरु का आदेश न मानने का परिणाम

Kahani: एक सेवक ने अपने गुरु से विनती की कि मैं सत्संग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, किन्तु फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला। गुरु ने प्यार…

Kavita: तुम मुझे फिर मिलो

काश फिर ऐसा हो, तुम मुझे फिर मिलो। फिर मुझे जानने मैं रूचि लो, मुझे वापस बताओ। तुम्हारा लिखा पढ़ा मैंने, बहुत खूब लिखती हो।। फिर तुम्हें गले से लगा…

यौन विचार या रोमांस चित्त प्रशांत नहीं करते

स्मृति को सामान्यतया अतीत का भाग कहा जाता है। लेकिन स्मृति हमेशा वर्तमान होती है। घटनाएं या विचार अभिव्यक्ति या अन्य सरोकार बेशक अतीत का भाग होते हैं लेकिन उनकी…

Poem: भटक गए हम राहों में

भटक गए हम राहों में, मंजिल का ठिकाना नहीं था। ले गई जिंदगी उन राहों में, जहां हमें जाना नहीं था। कुछ क़िस्मत की मेहरबानी, कुछ हमारा कसूर था। हमने…

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