Poem: ना तुझे पता, ना मुझे पता
ये विकास है या कुछ और है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। क्या दलित होना गुनाह है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। इक कोठरी में कई लोग हैं,…
ये विकास है या कुछ और है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। क्या दलित होना गुनाह है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। इक कोठरी में कई लोग हैं,…