विरहन की व्यथा
राह निहारत रैना बीते। नैना अश्रु बहावे।। पीया बिना सखी निंद न आवे। पल पल याद सतावे।। पतझड़ बीत बसंत आइ गयो। मंद पवन अब डोले।। भौंरा गुंजन करे फूल…
राह निहारत रैना बीते। नैना अश्रु बहावे।। पीया बिना सखी निंद न आवे। पल पल याद सतावे।। पतझड़ बीत बसंत आइ गयो। मंद पवन अब डोले।। भौंरा गुंजन करे फूल…