Poem: नेता बनाम नेता
उस नेता ने नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब नेता का नारा है अपनी तिजोरी भरना हमारा कर्मसिद्ध अधिकार है। उस नेता ने कहा था तुम मुझे…
उस नेता ने नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब नेता का नारा है अपनी तिजोरी भरना हमारा कर्मसिद्ध अधिकार है। उस नेता ने कहा था तुम मुझे…
क्या कहा भइया? हम नादान हैं, भोले हैं, दिमाग से पोले हैं। आज कागज फाड़ रहे हैं, कल कपड़े फाड़ेंगे। लेकिन भइया! सच तो यह है कि तुम नादान हो,…