मेरे प्रियतम तुम सावन में

मुरझाते उपवन को प्रियतम, रसवती कर जाओ। कोमल कंज खिलूँ बन जिसमें, तुम पुष्कर बन जाओ।। नैन थके हैं राह निहारत, रिक्त प्रेम का है प्याला। विरह अग्नि में तपते…