Kavita: किसी को किसी से फर्क नहीं पड़ता

किसी को किसी से फर्क नहीं पड़ता दांव लगाने वाला भी शर्त नहीं पढ़ता गोरखधंधों से कमाने वाला इंसान जरूरतमंदों पर खर्च नहीं करता गीता, बाईबल, ग्रंथ, कुरान पढ़ने वाला…

Kavita: अब बदलने वाला होगा बहुत कुछ

अब बदलने वाला होगा बहुत कुछ तुम मिलोगे कुछ नये लोगों से बहुत कुछ पीछे रह जाएगा। शायद कुछ ही ऐसे रिश्ते होंगे या यूं कहें कि कुछ यादें जो…

Kavita: सड़कों पर लावारिस मौत

सड़कों पर लावारिस मौत, मरते जानवर, घरों के अंदर हिंसा और अलगाव झेलते वृद्ध। खत्म होते हुए गिद्ध और गिद्ध बनते आदमी, अंधा कानून और कानून से अंधा बनाती सरकारें।…

Kavita: मैं इस घर से प्रेम करता हूँ

मैं इस घर से प्रेम करता हूँ इस टूटे-फूटे और पुराने घर से जिसकी मिट्टी सुदूर मैदानों से खोदकर लाई गई थी बैलगाड़ियों में कभी पिता के ज़माने में प्रेम…

Poem: सबसे भारी क्या है?

सबसे भारी क्या है? पर्वत पहाड़ या दर्द से भारी मन, नहीं! सबसे भारी है माथे का वो घूंघट जिसमें संस्करों के नाम पर पिघल जाती हैं कितनी ही कलाएँ,…

Poem: मैंने देखा है फिल्मों में

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…

Poetry: राम का उत्सव मनाने

राम का उत्सव मनाने बढ़ रहा है विश्व सारा। कर्तव्य पथ पर हम बढ़ें सौभाग्य युग है हमारा।। प्रेरणा के दीप हम हों विश्व में जगमग उजाला। आनन्दमय वातावरण हो…

Kahani: वृक्ष हमारे जीवन दाता

वृक्ष हमारे जीवन दाता, स्वास्थ्य आरोग्य व प्राण प्रदाता। जानें इनके गुण गौरव को, है समाज से इनका गहरा नाता।। वृक्ष बचायें वृक्ष लगाएं, ज़न ज़न को मिल कर समझाएं।…

Poem: जाग रहा भारत फ़िर से

जाग रहा भारत फ़िर से हम जागें, कर पायें सद कर्म प्रभु से यह मांगें। पावन अतीत की थाती का गौरव ले, स्वर्णिम भवितव्य रचायें भ्रम भागें।। गति में मन…

Kavita: माँ सुबह का सूरज होती है

माँ भोर में उठती है कि माँ के उठने से भोर होती है ये हम कभी नहीं जान पाये। बरामदे के घोसले में बच्चों संग चहचहाती गौरैया माँ को जगाती…

Other Story