Kavita: नदी की पुकार
नदी पुकार रही है हमको, मिल कर मुझे बचाओ। अविरल निर्मल सदा बहूं, य़ह सब को समझाओ।। मैं बची बचोगे तुम भी, य़ह सम्भावित सत्य है। तुम से है सम्बन्ध…
नदी पुकार रही है हमको, मिल कर मुझे बचाओ। अविरल निर्मल सदा बहूं, य़ह सब को समझाओ।। मैं बची बचोगे तुम भी, य़ह सम्भावित सत्य है। तुम से है सम्बन्ध…
मेघ जब बागन में बरसें, ताल में जीवन रस भर दे। मयूरी नाचे वन उपवन, मेघ जब मोतिन सा बरसे। मिटे तब धरती माँ की प्यास, पुराये गंगा की तब…