Poem: जग के नाथ जगन्नाथ
नीलांचल पर्वत पर शोभित, एक नगर है शांत बड़ा, जहाँ भक्तगण भीड़ लगाए, करुण भाव में नयन भरा। पुरी नगरी पूज्य सदैव, तीर्थों में उत्तम सम्मान, जहाँ स्वयं भगवान रचाते,…
नीलांचल पर्वत पर शोभित, एक नगर है शांत बड़ा, जहाँ भक्तगण भीड़ लगाए, करुण भाव में नयन भरा। पुरी नगरी पूज्य सदैव, तीर्थों में उत्तम सम्मान, जहाँ स्वयं भगवान रचाते,…
मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…
आंधिया चाहे उठाओ, बिजलियां चाहे गिराओ, जल गया है दीप तो, अंधियार ढलकर ही रहेगा। रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाए, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर…
कर्तव्य भाव से भरा रहे हर क्षण-पल जीवन सबका। क्रिया शीलता रहे सदा हो सृजनात्म भाव मन का।। निष्क्रिय जीवन से रहें दूर सद कर्म सदा वे कर पायें। वह…
उम्मीदें सबकी संभालते हुए ख्वाबों को टालते लड़के, पूरा ही खर्च हो जाते हैं खुद का समय निकालते लड़के घर का खाना, पिता की तबीयत यही जांचते लड़के, कुछ और…
फूल नहीं जानता वह कौन सा फूल है हवा भी कहाँ जानती है किस में कितनी क्षमता है जमीन भी कहाँ तय कर पाती है कौन सा फूल कब गिरेगा…
काली औरतें छुपा ले गयी संसार के सारे काले करतूत धोखा खाकर सोचती रही घण्टों बंद कमरों में अपने माशूक को अपने निबालों में खाती रही भर-भर कर कोयले के…
पुनरोदय का समय आ गया, आओ मिल कर दीप जलाएं। लेकर संकल्प सिद्धि कर पूरी, स्वाभिमान का भाव जगाएं।। जो कुछ छूटा वह सब पायें, जो हुए दूर उनको अपनाएं।…
गाय हमारी माता है गी, यह हम नित्य रहे हैं गाई। कभी आरती पूजन करते, चन्दन वन्दन रहे चढ़ाई।। सब देवता गाय में बसते, यह हम सबको रहे बताय। द्वार…
बाहों में बहु बल था उत्साह महा प्रबल था वीरों का सुगठित दल था पर लड़कर हम क्यों हारे? क्षत्रिय रक्षा का हल था क्षत्राणी युग संबल था जौहर करना…