कलम क्रोध में कवि से
कवि! तू झूठा है, यह बात मैं, डंके की चोट पर कहती हूँ! तेरी विरह गाथा के पीछे, मैं एक सचाई देखती हूँ। मैंने तेरा हाल पता किया, तेरे घर…
कवि! तू झूठा है, यह बात मैं, डंके की चोट पर कहती हूँ! तेरी विरह गाथा के पीछे, मैं एक सचाई देखती हूँ। मैंने तेरा हाल पता किया, तेरे घर…
थे गाँव हमारी पाठशाला, जिसमें हम पढ़कर बड़े हुए। संस्कृति सभ्यता संस्कार सीख, स्व तंत्र स्वाभिमान ले खड़े हुए।। था सुरम्य हमारा गाँव जहाँ, परिवार भाव घर-घर पलता। छोटे-बड़े समादर…
कोशिश करो कि बस बच जाएं, इतनी सी भावनाएं। कि युद्ध की विभीषिका के बीच, जब चल रही हों दनादन गोलियां। तोपों से बरस रही हो आग, खंडहर में तब्दील…
तन की चुनर भीगती जाए, मन की चूनर डोल उठे, बूँदें जैसे गीत रचें हों, पायल की झनकार बहे। घटा ओढ़कर नाची वह, नयन बंधन तोड़े जब, झरने सी इक…
देख सजनी! देख ऊपर।। आ रही है मेघमाला।। बम सरीखी गड़गड़ाती,रेल जैसी दड़दड़ाती। इंजनों सी धड़धड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।। पल्लवों को खड़बड़ाती,पंछियों को फड़फड़ाती। पड़पड़ाती पापड़ों सी, बोलती है कड़कड़ाती।।…
आ लौट चलें एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग…
परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…
मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…
जब रसोई में दाना न हो छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
बड़ा करारा घाम लगत हौ। तपै जेठ के गरम महीना। तर-तर तर चुवै पसीना। एही में न्योता और हकारी। केहु के ब्याह परल ससुरारी। चार ठों न्योता गांव में बाटै।…