Poem: जब रसोई में दाना न हो
जब रसोई में दाना न हो, छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो, पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो, आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
जब रसोई में दाना न हो, छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो, पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो, आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
खुली आँख थी या कि तुम सो रहे थे, कहीं उड़ गया था तुम्हारा सुआ क्या? घटना घटी देखकर पूछते हो! हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? निजी…
चार महीना सुख से बीता, घुसुड़ रजाई मा जग जीता। इक-दूजे से लिपट-लिपटकर, सोवा हम तो चिपक-चिपककर। ऊ सुख अब तो मिलै न पाई, मौसम दूसर आय रहा है। सरवा…
क्या कहा भइया? हम नादान हैं, भोले हैं, दिमाग से पोले हैं। आज कागज फाड़ रहे हैं, कल कपड़े फाड़ेंगे। लेकिन भइया! सच तो यह है कि तुम नादान हो,…
नयनों पर छाता मधुमास, अधरों पर खिलता ऋतुरास। अंग-अंग केसर की क्यारी, मुख जैसे जलजात बसन्ती। प्रियतम की हर बात बसन्ती! रूप सुहाना, छटा सलोनी, एक-एक है अदा सलोनी। रोम-रोम…
भटक गए हम राहों में, मंजिल का ठिकाना नहीं था। ले गई जिंदगी उन राहों में, जहां हमें जाना नहीं था। कुछ क़िस्मत की मेहरबानी, कुछ हमारा कसूर था। हमने…
एलबम में लगी तस्वीर के नीचे, छुपाकर रखती होगी कोई तस्वीर। तह किये हुए कपड़ों के बीच, पुराने पीले कागज बतौर प्रेम पत्र।। रूमाल में टांकती होगी, कोई खूबसूरत फूल।…
एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…
चीजों को सुलझाना जिंदगी भर चलता रहेगा, आरंभ में दूध की बोतल खोजोगे खिलौनों की भीड़ में, फिर पंतग की उलझी हुई डोर सुलझाओगे जवानी में सुलझाते रहोगे रोजी रोटी…
मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…