Poem: जाड़ा जाय रहा है

चार महीना सुख से बीता, घुसुड़ रजाई मा जग जीता। इक-दूजे से लिपट-लिपटकर, सोवा हम तो चिपक-चिपककर। ऊ सुख अब तो मिलै न पाई, मौसम दूसर आय रहा है। सरवा…

Poem: प्रियतम की हर बात बसन्ती!

नयनों पर छाता मधुमास, अधरों पर खिलता ऋतुरास। अंग-अंग केसर की क्यारी, मुख जैसे जलजात बसन्ती। प्रियतम की हर बात बसन्ती! रूप सुहाना, छटा सलोनी, एक-एक है अदा सलोनी। रोम-रोम…

Poem: भटक गए हम राहों में

भटक गए हम राहों में, मंजिल का ठिकाना नहीं था। ले गई जिंदगी उन राहों में, जहां हमें जाना नहीं था। कुछ क़िस्मत की मेहरबानी, कुछ हमारा कसूर था। हमने…

Kavita: सिसकते साजों का संगीत

एलबम में लगी तस्वीर के नीचे, छुपाकर रखती होगी कोई तस्वीर। तह किये हुए कपड़ों के बीच, पुराने पीले कागज बतौर प्रेम पत्र।। रूमाल में टांकती होगी, कोई खूबसूरत फूल।…

Kavita: आ लौट चलें

एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…

Kavita: चीजों को सुलझाना

चीजों को सुलझाना जिंदगी भर चलता रहेगा, आरंभ में दूध की बोतल खोजोगे खिलौनों की भीड़ में, फिर पंतग की उलझी हुई डोर सुलझाओगे जवानी में सुलझाते रहोगे रोजी रोटी…

Kavita: एक अनजान से रिश्ते को

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…