Kavita: सच्चा समाजवाद
सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…
सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…
छोड़ विषमता की बातों को, हिंदू राष्ट्र अपनी पहचान; सामाजिक समरसता से ही, अपना भारत बने महान-2। कोटि हिंदु से बना है भारत, कोटि हिंदु अपनी पहचान; ध्यान रहे भारत…
एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…
ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी, सोचने फिर-फिर यही जी में लगी आह क्यों घर छोड़ कर मैं यूँ कढ़ी। दैव मेरे…
मम्मी अब कुरसी दिलवा दो। खड़े-खड़े मैं ऊब गया हूं, कड़ी धूप में सूख गया हूं। तुम तो हो हर फन में माहिर, सभी कलाओं में हो शातिर। तुम मेरी…
गॉड ये कैसा खेल हो गया, पप्पू फिर से फेल हो गया। खूब सिखाया, खूब पढ़ाया, तोते-जैसा उसे रटाया। इधर भेजकर, उधर भेजकर, जगह-जगह नाटक करवाया। फिर भी क्यों बेमेल…
हम थे गजब दीवाने, बस दीवाने रह गए, सिरहाने हुए लोग, हम पैताने रह गए। जब वक्त की धारा के साथ बह नहीं पाए, फेंका लहर ने दूर तो अनजाने…
चीजों को सुलझाना जिंदगी भर चलता रहेगा, आरंभ में दूध की बोतल खोजोगे खिलौनों की भीड़ में, फिर पंतग की उलझी हुई डोर सुलझाओगे जवानी में सुलझाते रहोगे रोजी रोटी…
रग रग में पीड़ा बहती है, जो चिर जीवन तक रहती है। जगजीव, मनुष्य की देह सदा, क्षण क्षण पल प्रतिपल ढहती है।। कर्मों का फल तो मिला नहीं, इस…
गाँव हमारा गाँव के हम हैं, समृद्ध परिवार बनाना है। हर किसान घर दूध दही हो, संकल्प भाव जगाना है।। गांव हमारा सर्वोत्तम खेती, फ़सल विविधता का प्रबन्ध। प्राकृतिक खेती…