Poem: मम्मी की मसहरी
नाना के घर से जब मम्मी, पापा के संग आई थीं! और नहीं कुछ याद किसी को, पर ये पलंग भी लाई थी। छोटे बड़े मिलाकर उनके, घर में दस…
नाना के घर से जब मम्मी, पापा के संग आई थीं! और नहीं कुछ याद किसी को, पर ये पलंग भी लाई थी। छोटे बड़े मिलाकर उनके, घर में दस…
बाढ़त गर्मी छुटत पसीना, भीजत देह के कोना कोना! पारा चढ़त चुनावी गर्मी, भला दोस्त से दुश्मन होना। तीन जून तक बढ़ी है गर्मी, चार के भीजी खटिया बिछौना! वकरे…