Pragya Mishra
प्रज्ञा मिश्रा

कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जो कुछ हुआ, उसके बाद के भारतीय आक्रोश से विश्व का परिदृश्य बहुत प्रभावित हुआ है। अपने सीमित लक्ष्य की प्राप्ति के साथ आतंकवाद के मूल पर आक्रमण कर भारत ने अपने नए आक्रामक और मजबूत सामरिक शक्ति से दुनिया को चौंकाया भी है और अपने शत्रुओं के भीतर एक गहरा भय भी पैदा किया है। ऑपरेशन सिंदूर नाम देकर भारत ने विश्व को इस सिंदूरी शौर्य, साहस और संकल्प से अवगत करा दिया है।

यह घटना निश्चित रूप से भारत के शौर्य के इतिहास की अत्यंत पराक्रमी पृष्ठ के रूप में अंकित कर दी गई है। भारत की संसद में कल से इसी विषय पर चर्चा होने जा रही है। यह संयोग ही है कि सनातन भारत के सिंदूरी शौर्य पथ पर केंद्रित संस्कृति पर्व का विशेष संयुक्तांक आज ही डिजिटल प्रकाशित हुआ है। इसके प्रिंट संस्करण के प्रकाशन की प्रक्रिया चल रही है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को देखने का विश्व का नजरिया भी बदल चुका है। इसी को केंद्रित कर संस्कृति पर्व ने एक अति विशिष्ट अंक का आयोजन किया है। अपने 42वें विशेषांक के रूप में सनातन भारत का सिंदूरी शौर्य पथ स्थापित करते हुए संस्कृति पर्व के संस्थापक संपादक आचार्य संजय तिवारी ने जिन विषयों को इसमें समाहित किया है वे भारत की भावी पीढ़ी के लिए स्वर्णिम इतिहास के दस्तावेज की तरह हैं।

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सनातन भारत का शौर्य पथ, सनातन भारत की सिंदूरी शक्ति, ऑपरेशन सिंदूर ही क्यों, नए भारत की नई उड़ान, नए भारत की रक्षा शक्ति, भारत की धर्म शक्ति, अर्थ शक्ति, आयुध के विश्व बाजार में भारत, नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत, भारत की नई सामरिक चुनौतियां, आतंकवाद: वैश्विक, क्षेत्रीय और आंतरिक, नए भारत के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण,वैश्विक शांति के लिए भारत की भूमिका जैसे महत्व के विषयों पर केंद्रित प्रामाणिक आलेख प्रकाशित कर एक अद्भुत कार्य संपन्न हुआ है। यह निश्चित रूप से अत्यधिक श्रम साध्य रहा है। संस्कृति पर्व की संपादकीय परिषद को इसके लिए अथक परिश्रम करना पड़ा है।

माह जुलाई और अगस्त, 2025 के संयुक्तांक के रूप में यह अंक ऐसे समय में प्रकाशित हुआ है जब संसद में इसी विषय को लेकर दो दिन की गंभीर चर्चा प्रस्तावित है। आज संस्कृति पर्व का डिजिटल संस्करण आया है। कल से ही संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होने जा रही है। संस्कृति पर्व के इस अंक में वह सब है जिसे एक साथ सशक्त सामरिक भारत की तस्वीर को देख सकते हैं।

(लेखिका साहित्यकार हैं।)

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