Sambhal violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर राज्य की योगी सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने की योजना बनाई है और हिंसा में भाग लेने वाले पत्थरबाजों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाने का आदेश दिया है। इस कदम को लेकर राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि हिंसा में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
संभल हिंसा की पृष्ठभूमि
यह घटना 24 नवंबर 2024 को संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के पास हुई, जब एक बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। यह प्रदर्शन एक सर्वेक्षण को लेकर हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि इस स्थल पर पहले हरिहर मंदिर था। जैसे ही यह विवाद बढ़ा, स्थिति हिंसा में तब्दील हो गई। झड़पों के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। हिंसा के दौरान वाहनों में आग लगाई गई और पत्थर फेंके गए। पुलिस ने इस मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया और सात एफआईआर दर्ज की गईं।
योगी सरकार की कार्रवाई
सरकार ने हिंसा के आरोपी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की घोषणा की है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे, ताकि उन्हें सार्वजनिक रूप से पहचाना जा सके। इसके अलावा, हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की भरपाई करने की भी योजना है। सरकार ने यह भी कहा है कि आरोपियों की गिरफ्तारी में मदद करने वाली जानकारी देने वालों को इनाम दिया जाएगा। गौरतलब है कि योगी सरकार का यह कदम 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अपनाए गए उपायों की याद दिलाता है, जब लखनऊ समेत अन्य शहरों में कथित उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए थे। हालांकि, उस समय उच्च न्यायालय ने इन पोस्टरों को हटाने का आदेश दिया था।
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विपक्ष की प्रतिक्रिया
संभल हिंसा के बाद विपक्षी दलों ने यूपी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर दंगा कराने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम केवल समाज में और अधिक तनाव बढ़ा सकता है।
इस घटना की जांच के लिए एक मजिस्ट्रेट जांच चल रही है। पुलिस ने सोमवार को पुष्टि की कि संभल में शांति बहाल हो गई है और स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने यह आश्वासन दिया कि जिन लोगों ने अशांति फैलाई है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। संभल हिंसा ने राज्य में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। जबकि योगी सरकार कड़े कदम उठा रही है, विपक्ष इसे राजनीतिक लाभ लेने का एक तरीका मान रहा है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कानूनी और राजनीतिक परिणाम सामने आते हैं।
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