Rampur Kartoos Kand: रामपुर की जिला अदालत ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित कारतूस कांड (Rampur Kartoos Kand) में 20 पुलिस वालों (UPPolice) समेत 24 दोषियों को सजा सुनाई है। कारतूस कांड में कोर्ट ने 22 दोषियों को 10-10 साल, जबकि 2 दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है। इस केस से जुड़े सभी दोषियों को 13 अक्टूबर को दोपहर में कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने सभी मामले में फैसला सुनाया। केस के सभी दोषियों पर सजा एकसाथ समान रूप से चलेगी।
बता दें कि यह पूरा मामला वर्ष 2010 का है। ये सभी आरोपी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नक्सलियों का कारतूस सप्लाई करने के दोषी पाए गए हैं। रामपुर की जिला अदालत ने 12 अक्टबूर को इस मामले में सीआरपीएफ के दो हवलदार, पुलिस कर्मी (UPPolice) और सिविलियन समेत 24 लोगों को दोषी ठहराया था। जानकारी के मुताबिक इस मामले में जांच के बाद 25 लोगों को खिलाफ पुलिस (UPPolice) ने चार्जशीट दाखिल किया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन के पक्ष की तरफ से कोर्ट में 9 साक्ष्य पेश किया गया था। वहीं इस मामले में जांच के दौरान कारतूस घोटाले का मास्टरमाइंड पीएसी से रिटायर्ड दारोगा यशोदानंद की मौत गई थी।
यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि 6 अप्रैल, 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलवादियों ने सीआपीएफ जवानों पर धावा बोल दिया था। नक्सलियों के इस हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे। जांच के दौरान अधिकारियों को पता चला कि नक्सलियों की तरफ से हमले में इस्तेमाल की गई कारतूस रामपुर से भेजी गई थी। इस दौरान एसटीएफ को उत्तर प्रदेश के कई जिलों से सरकारी आर्म्स के सौदे का इनपुट मिला था। 26 अप्रैल, 2010 को सटीक सूचना के बाद एसटीएफ ने रामपुर के ज्वालानगर में रेलवे क्रासिंग के करीब से मुख्य आरोपी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा सीआरपीएफ के विनोद पासवान और विनेश कुमार को भी पकड़ लिया गया।
एसटीएफ को तीनों आरोपियों के पास से ढाई क्विंटल खोखा कारतूस और 1.76 लाख रुपए कैश भी मिला था। इसके साथ ही 12 बोरों में इम्यूनिशन जब्त किया था। इनमें इंसास राइफल भी बरामद हुई थी। एडीसी क्रिमिनल प्रताप कुमार मौर्य के अनुसार, छापेमारी के दौरान मुख्य आरोपी यशोदानंदन के पास से एक डायरी मिली थी। इस डायरी में आर्मरर के नाम और नंबर लिखे थे। इसके बाद एसटीएफ ने तीनों से कड़ाई से पूछताछ की तो सारी कड़ियां खुलने लगीं। जांच में कई आर्मरर के नाम सामने आए, जो उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों में तैनात थे। डायरी में मौजूद नाम और नंबरों की मदद से तीनों आरोपियों की निशानदेही पर बस्ती, गोंडा और वाराणसी समेत कई जिलों से पुलिस और पीएसी के आर्मरर को गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने इन आरोपियों को सुनाई सजा
पुलिस ने इसके बाद सभी को बी-वारंट पर रामपुर लेकर आई। पुलिस ने पूरे मामले की तफ्तीश के बाद अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। तब से स्पेशल जज की कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही थी। केस में 4 अक्टूबर को बहस पूरी हो गई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य के मुताबिक, इस मामले जिन 20 पुलिस वालों को सजा सुनाई गई है, उनमें 6 लोग रिटायर हो चुके हैं। 14 दोषी अभी भी नौकरी पर हैं। दोषियों में चार सामान्य नागरिकों के साथ 20 पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के कर्मचारी शामिल हैं।
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दोषियों में यशोदानन्द सिंह, विनोद पासवान, विनेश, नाथीराम, राम कृष्ण शुक्ला, राम कृपाल, शंकर, दिलीप राय, सुशील कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार सिंह, राजेश शाही, अमर सिंह, वंश लाल, अखिलेश कुमार पांडेय, अमरेश कुमार यादव, दिनेश कुमार द्विवेदी, राजेश कुमार सिंह, मनीष राय, मुरलीधर शर्मा, आकाश उर्फ गुड्डू, विनोद कुमार सिंह, ओमप्रकाश सिंह, रजय पाल सिंह, लोकनाथ और बनवारी लाल शामिल हैं। सजा सुनाए जाने के बाद सभी दोषियों को पुलिस सुरक्षा में जेल भेज दिया गया।
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