Ramcharitmanas controversy: रामचरितमानस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी अब अपनों से भी घिरने लगी है। सपा के सहयोगी दलों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बयानों पर सवाल खड़े करने लगे हैं। हालांकि चाटुकार नेता सपा कार्यालय के बाहर शूद्र और ब्राह्मण होने की होर्डिंग लगाकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को खुश करने में लगे हैं, वहीं आत्मसम्मान रखने वाले नेता पार्टी की नीतियों से अहत नजर आ रहे हैं। सपा की सहयोगी अपना दल (कमेरवादी) की नेता डॉ. पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) ने मुख्यमंत्री आवास को गंगाजल से धुलवाने वाले बयान को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) से कहा कि आपने आपत्ति जताई यह अच्छी बात है, लेकिन आपकी आपत्ति देर से आई। इसका विरोध आपको तब करनी चाहिए थी जब ये काम हुआ था। उस समय तो वो खुद बीजेपी के साथ खड़े थे। अगर आपको इतना बुरा लगा था तो नैतिकता के आधार पर पार्टी का साथ छोड़ देना चाहिए था।
सपा विधायक पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) ने आगे कहा कि रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की चौपाई में लिखा है, ताड़ना के अधिकारी। मैं एक नारी हूं और किसी में हिम्मत है तो कोई मेरी ताड़ना करके दिखा दे। उन्होंने कहा कि यह सब मन का भेद है। अगर आपमें क्षमता है तो लिखी हुई बातों को आप गलत साबित कर सकते हो। उन्होंने कहा कि मैं भले ही स्त्री हूं, लेकिन ताड़ना करने का अधिकार, हिम्मत कोई नहीं रखता। उन्होंने और धर्मों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मैं दूसरे धर्म ग्रंथों की बात नहीं करती, क्योंकि अगर रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर चर्चा होगी, तो कल कोई आकर ये भी कह सकता कि बाइबल में लिखा है कि धरती रोटी की तरह चपटी है, उसे हटा दिया जाए।
उन्होंने ने कहा कि यह भी जानना चाहिए रामचरितमानस किसने लिखी है? जिन्होंने लिखी वह महज एक अनुवादक ही तो हैं। ऐसे तमाम धर्म ग्रंथ है, जिनसे हमारा सरोकार ही नहीं है, तो उन्हें क्यों पढ़ना। उन पर चर्चा करें। उन्होंने कहा कि स्वामी जिस चीज को हटाने की बात कर रहे हैं, वह सिर्फ पन्नों से हटाने से नहीं हट सकती। वह लोगों के मन मस्तिष्क में है, वहां से भी हटाना जरूरी है।
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बसपा प्रमुख मायावती के ट्वीट को लेकर पलटवार करते हुए पल्लवी पटेल ने कहा, वह जिस गेस्ट हाउस कांड की बात कर रही, जब भाजपा का साथ सत्ता में थीं, तो तथाकथित लोगों पर क्या कार्रवाई की? अब वह अबला नारी होने की की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश न करें। मयावती अबला नहीं बल्कि एक मजबूत राजनीतिज्ञ हैं, इसलिए उन्हें उस तरह की बात करनी चाहिए। आज शूद्र और ब्राह्मण की बात नहीं होनी चाहिए।
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