भोपाल: साँची स्थित बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित दो पुस्तकों ‘मोदी युग-संसदीय लोकतंत्र का नया अध्याय’ और ‘अमृतकाल में भारत’ के लेखक प्रोफेसर संजय द्विवेदी से एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह आयोजन ‘सेवा पर्व-2025’ के उपलक्ष्य में किया गया था, जिसमें विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. नवीन कुमार मेहता ने लेखक के साथ रोचक संवाद किया।
प्रो. द्विवेदी, जो भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक भी रह चुके हैं, ने बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 2014 से पहले ही एक लेख में भविष्यवाणी कर दी थी कि श्री नरेंद्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद पीएम मोदी एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जिन्होंने लोगों में नई उम्मीद जगाई और सामाजिक बदलाव (सोशल इंजीनियरिंग) को जमीनी स्तर पर लागू किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग से ज्यादा दिल की जरूरत होती है। उनके अनुसार, “संघ का कोई अलग विचार नहीं है, बल्कि भारतीयता और हिंदुत्व का विचार ही संघ का विचार है। संघ विशुद्ध रूप से आचरण पर चलने वाला संगठन है।”
आज के समाज पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि उपभोक्तावाद और अत्यधिक आकांक्षाएं समाज को दुखी कर रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के दर्शन को याद करते हुए कहा कि कम चीजों का उपयोग करने में ही सुख है। छात्रों को सलाह देते हुए उन्होंने सुधीर चंद्रा की किताब ‘गांधी एक असंभव संभावना’ पढ़ने की सिफ़ारिश की।
पत्रकारिता के बारे में उनका कहना था कि हर पत्रकार की एक ‘राजनीतिक सोच’ (पोलिटिकल लाइन) होनी चाहिए, न कि किसी पार्टी की लाइन। उन्होंने जोर देकर कहा कि विचारधारा का होना जरूरी है, लेकिन वह किसी पार्टी विशेष की एजेंडा न हो।

पढ़ने-लिखने की घटती आदत पर प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आज का दौर ऑडियो, वीडियो और स्थानीय भाषाओं का है, क्योंकि लोग मोबाइल पर कम समय में जानकारी पाना चाहते हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में किताबें अभी भी खूब पढ़ी और बेची जा रही हैं। साथ ही, उन्होंने मीडिया साक्षरता को अत्यंत आवश्यक बताया।
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कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने प्रो. द्विवेदी को उनकी पुस्तकों के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन डीन प्रो. मेहता ने किया और कुलसचिव विवेक पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गौरतलब है कि सेवा पर्व के तत्वावधान में विश्वविद्यालय 29 सितंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक एक राष्ट्रीय चित्रकारी प्रतियोगिता का आयोजन भी कर रहा है, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग भाग ले सकते हैं। विजेताओं को 7,000, 5,000 और 3,000 रुपये के नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।
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