प्रकाश सिंह
गोंडा: सरकारी स्कूलों की सेहत सुधारने के लिए केंद्र व राज्य सरकार लगातार प्रयासरत हैं, बावजूद इसके कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो अपनी मानसिकता बदलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। नतीजा यह है कि सक्षम व्यक्ति अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की जगह प्राइवेट स्कूलों में भेजना बेहतर समझ रहे हैं। गोंडा जनपद के छिटनापुर हलधरमऊ के प्राथमिक विद्यालय से ऐसी ही तस्वीर सामने आई है जहां स्कूल में चपरासी की जगह झाड़ू बच्चों से लगवाई जा रही है। शायद यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में मिड डे मील, स्कॉलरशिप, मुफ्त किताबें और ड्रेस देने जैसी कई योजनाओं के बावजूद भी बच्चों की संख्या कम होती जा रही।
गोंडा जनपद के छीटनापुर हलधरमऊ के प्राथमिक विद्यालय में बच्ची से लगवाई जा रही झाडू pic.twitter.com/Om5Ip1SQ6U
— News Chuski (@Newschuski) November 26, 2021
सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों में जो आमधारणा बन चुकी है, उसकी पुष्टि खुद सरकारी अध्यापक करते मिल जाते हैं। पढ़ाई का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसका असर स्कूलों में पढ़ने आने वाले बच्चों की संख्या को देखकी समझा जा सकता है। यह हाल तब है, जब सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन की ओर से हर साल तमाम योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं।
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साल दर साल सरकारी स्कूलों से छात्रों की संख्या लगातार घटने की वजह कुछ अध्यापकों की लापरवाही है। प्राथमिक विद्यालय छिटनापुर हलधरमऊ का है जहां पर एक बच्ची झाड़ू लगाते दिख रही है और बाकी बच्चे अध्यापक के साथ प्रार्थना के लिए लाइन में लगे दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभिभावक अपने पालकों को सरकारी स्कूलों में भेजने से क्यों दूर भागते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की जगह बच्चों से काम लेने पर ज्यादा फोकस होता है। इस संदर्भ में प्रधानाध्यापक से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
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