हमारे देश का जितना नुकसान सेकुलरवाद (secularism meaning in hindi) ने किया है, उतना नुकसान विदेशी मुस्लिम हमलावर एवं अंग्रेज भी नहीं कर सके। यह घुन की तरह हमारे प्राचीन सांस्कृतिक गौरव को नष्ट कर रहा है। सच्चाई यह है कि ‘सेकुलर’(secularism meaning in hindi) शब्द हमारे संविधान (preamble of indian constitution) के मूलस्वरूप का अंग था ही नहीं। संविधान (preamble of indian constitution) सभा में राष्ट्रवादी लोगों का बाहुल्य था तथा उनका मत था कि भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ एवं ‘सर्वधर्म समभाव’ की अवधारणा विद्यमान है, जो सबसे बड़ा सेकुलरवाद (secularism meaning in hindi) है। यह तो अपने स्वार्थ के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली तानाशाह इंदिरा गांधी के कुत्सित दिमाग की उपज थी। उन्हें अपनी कुर्सी मजबूत करने के लिए कम्युनिस्टों का सहारा लेना था, इसलिए उन्होंने उनका मनपसंद शब्द ‘सेकुलर’ अवैध रूप से संविधान (preamble of indian constitution) के मूलस्वरूप में जोड़ दिया।
इंदिरा गांधी ने ‘सेकुलर’ के साथ ‘समाजवाद’ शब्द भी संविधान (preamble of indian constitution) में शामिल किया। लेकिन समाजवाद शब्द इतना विविधरूपी हो गया है कि उसकी एक व्याख्या नहीं रह गई। इसीलिए वह शब्द ‘सेकुलर’ (secularism meaning in hindi) शब्द की तरह घातक नहीं हो पाया। वैसे भी, हिंदुत्व का मूलतत्व ‘सर्वजन हिताय’ है, जिससे बड़ा कोई साम्यवाद या समाजवाद नहीं हो सकता।
सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट मत है कि संविधान (preamble of indian constitution) के मूलभूत ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। फिर भी इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘सेकुलर’ एवं ‘समाजवाद’ शब्द जोड़ दिए। चूंकि संविधान की प्रस्तावना उसके मूल ढांचे की परिचायक है, अतः वैसा संशोधन करने से संविधान के मूलस्वरूप में परिवर्तन हुआ और इसलिए वह अवैध कृत्य था।
समूचा नेहरू वंश हिंदू विरोधी रहा है। नेहरू ने तो स्वयं कहा था कि वह भले ही हिंदू धर्म में पैदा हो गए, लेकिन संस्कारों एवं विचारों से वह ईसाई व मुसलमान हैं। राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की है कि वह ‘उदार’ या ‘कट्टर’, हर प्रकार के हिंदुत्व के विरोधी हैं। वह हिंदू धर्म का केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं तथा सिर्फ चुनावों के समय मंदिरों के चक्कर लगाते हैं। उस समय वह अपने को ब्राम्हण घोषित करते हैं, जबकि लोगों का सवाल है कि गैरहिंदू पिता की संतान ब्राम्हण कैसे हो गई?
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राहुल गांधी राजीव गांधी के पुत्र हैं, जिनके पिता फिरोज खान गांधी गैरहिंदू थे। राहुल गांधी की मां ईसाई हैं और उन्होंने अपना धर्मपरिवर्तन नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय मत व्यक्त कर चुका है कि हिंदू धर्म किसी व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया कोई मजहब नहीं, बल्कि हजारों साल में विकसित हुई एक संस्कृति है। यह संस्कृति भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन ‘सेकुलर’ शब्द की आड़ में उस संस्कृति को नष्ट करने का कुचक्र किया जा रहा है।
आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू ने इस कुचक्र की शुरुआत की थी, जिसका अनुसरण उनके वंशजों द्वारा किया जा रहा है। यदि ‘सेकुलर’ शब्द का यह अर्थ लिया जाता कि सरकार का अपना कोई मजहब नहीं होगा तथा उसकी दृष्टि में सब मजहब बराबर होंगे तो यह भारतीय संस्कृति के ‘सर्वधर्म समभाव’ सिद्धांत के अनुरूप होता और उसके विरुद्ध वातावरण नहीं बनता। लेकिन ‘सेकुलर’ शब्द को भारतीय संस्कृति एवं हिंदू धर्म का विरोधी तथा मुस्लिमपरस्त बना दिया गया। नेहरू वंश के राज में सरकार द्वारा निरंतर हिंदुओं की इतनी उपेक्षा की गई कि वे मुसलिम आक्रांताओं के शासनकाल की तरह अपने ही देश में दो नंबर के नागरिक बन गए।
कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने तो स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी थी कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ‘सेकुलर’ शब्द का कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा खूब दुरुपयोग किया जा रहा है। जब उन्हें अपने को अल्पसंख्यक बताने में फायदा होता है तो वे स्वयं को अल्पसंख्यक कहकर उसका लाभ लेते हैं तथा जहां उन्हें ‘सेकुलर’ शब्द का फायदा लेना होता है, वहां वे संविधान के सेकुलर होने की दुहाई देने लगते हैं। इस प्रकार उनके दोनों हाथों में लड्डू रहता है।
जब बनातवाला, मौलाना बुखारी, उवैसी, जफरयाब जिलानी-जैसे कट्टरपंथी मुसलिम अपने को सेकुलर कहते हैं तो बड़ा हास्यास्पद लगता है। इस्लाम में तो ‘सेकुलर’ शब्द ही नहीं है और सबको मुसलमान बनाने का आदेश है। उनका सेकुलरवाद का समर्थन करने का एकमात्र उद्देश्य हिंदुओं का अहित करना तथा भारत के सनातन प्राचीन गौरव को नष्ट करना होता है।
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जब वे विदेशी मुस्लिम हमलावरों के प्रति अपनापन जताते हैं तो इससे यही सिद्ध होता है कि वे अपने को इस देश की संतान नहीं मानते। जबकि सच्चाई यह है कि भारत में जितने भी मुसलमान हैं, सबके पूर्वज हिंदू थे। दोनों का एक ही खून है और समान विरासत है। स्वाभाविक रूप से निर्मित हुए हर देश की अपनी प्राचीन विरासत होती है, जो उस देश के प्राचीन अस्तित्व एवं महत्व की मजबूत नींव का काम करती है।
मजहब या धार्मिक मत व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत चीज होती है। वह जिस तरीके से चाहे अपनी धार्मिकता का निर्वाह करे, यह उसकी अपनी मरजी है। लेकिन उसमें भी यह शर्त जुड़ी रहती है कि उसकी वह निजता समाज के लिए अहितकारी न हो। संस्कृति पूरे देश की प्राचीन धरोहर होती है, जिस पर व्यक्ति की निजी धार्मिक स्वतंत्रता का दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
इंडोनेशिया भी कभी हिंदू था, किन्तु अब मुस्लिम है। लेकिन उसने अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को तिलांजलि नहीं दी है। वहां लोगों के नाम अभी भी हिंदुओं की तरह होते हैं तथा वे लोग पूरी लगन से रामलीलाएं आदि करते हैं। वहां की सरकारी विमानसेवा का नाम ‘गरुड़’ है तथा राजधानी के हवाईअड्डे के बाहर हनुमानजी की बड़ी मूर्ति स्थापित है। किन्तु हमारे यहां ‘सेकुलर’ शब्द का अर्थ यह माना जाने लगा है कि हम अपनी प्राचीन धरोहर एवं प्राचीन गौरव को तिलांजलि दे दें।
योग, जो स्वास्थ्य के लिए अमृत है, उसका कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा सिर्फ इसलिए विरोध किया जाता है कि वह इस देश की बहुत प्राचीन धरोहर है, जिसे फर्जी सेकुलरवाद के कारण दबा दिया गया था। ऐसे असंख्य उदाहरण हैं। ‘सेकुलर’ शब्द हमारे देश को इतनी अधिक क्षति पहुंचा चुका है कि अब उसे जल्दी से जल्दी विदा कर दिया जाना बहुत आवश्यक है। यह विदेशी आक्रांताओं के शासनकाल वाली स्थिति पैदा कर रहा है, जिसमें देश के बहुसंख्यक वर्ग को अपने ही देश में जलील होकर रहना पड़ा था।
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आजादी के बाद राजनीति मुस्लिम-तुष्टिकरण पर आधारित हो गई। भाजपा को छोड़कर शेष सभी राजनीतिक दलों में मुस्लिम-तुष्टिकरण की होड़ लगी हुई है और उन्हें अलग टापू का रूप दे दिया गया है। हालांकि मुख्यधारा से कटकर रहने में स्वयं मुसलमानों का बहुत नुकसान हो रहा है। हिंदूनामधारी फर्जी सेकुलरिए सेकुलरवाद की आड़ में राष्ट्रवाद का दमन करने में लगे हुए हैं। यह धारणा सही है कि उनकी वजह से सभी हिंदुओं की ऐसी छवि बनती जा रही है कि यदि लादेन भरोसा दे दे कि वह तीस रुपये लीटर पेट्रोल-डीजल देगा तो बड़ी संख्या में हिंदू लादेन को वोट दे देंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)