मैं चल रहा उस राह पर,
जिस पर चलाया राम ने।
है वही देता दिशा-दृष्टि,
सृष्टि रचाई प्रभु नाम ने।।
जो हो रहा होगा अभी जो,
उसकी कृपा मय चाह है।
हर समय आगे चल रहा,
उसके विधान की राह है।।
जो भी जहां जब चाहिए,
पहले से उसने रच रखा।
मैं देखता नित रहस्य बह,
अन्तर हृदय ने जो लखा।।
भारत पुनः गौरव लिए है,
विश्व को सुख शान्ति देता।
पौरुष पराक्रम सामर्थ्य है,
अनंत से अनवरत लेता।।
पूर्णता को प्रत्यक्ष देखूं,
बस कामना इतनी हमारी।
स्वस्थ रह मैं चल सकूँ,
हो कृपा इतनी तुम्हारी।।
-बृजेन्द्र पाल सिंह
राष्ट्रीय संगठन मंत्री लोकभारती
केन्द्र लखनऊ
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