जागो! भारत के सब सपूत,
सोये तो समय भयंकर है।
निर्मूल करो षडयन्त्र सभी,
आराध्य तुम्हारे शंकर हैं।।
विदेशी षड्यंत्रों से जुड़े तार,
विघटन स्वागत को खुले द्वार।
अपनों से तनिक विश्वास नहीं,
संस्कृति विरुद्ध जिनके विचार।।
अच्छाई में बुराई रस उनका,
है मर्यादा से नहीं कोई नाता।
उच्छंखलता जिनका स्वभाव,
नित नया झूठ लेकर आता।।
उनको समझो यह परम कार्य,
वे विषधर से विषवान सभी।
सारे समाज को जागृत कर दो,
वे हों न प्रभावी यहां कभी।।
यह कर्तव्य हमारा सबका है,
प्रेम भाव से जन-मन को साधो।
विघटन विकृति तनिक कहीं भी,
मिल राष्ट्र भाव से उनको बांधों।।
-बृजेन्द्र पाल सिंह
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