

कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या है गांव में, नहीं समाधान है।
झूठ बोल रहा अब तो सारा जहान है!
पागल अब चोर दिखे, चोरी अब शान है!
नेता धन लूट रहे, जनता बेइमान है!
साहेब जुतवाय रहे, बोए किसान है!
कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या है गांव में, नहीं समाधान है।
मांस खाए खातिर अब लोन भी आसान है!
पोखरा बनि रहा खेत, अन्न कै अपमान है!
दूध, दही, घी पर भी टैक्स प्रावधान है!
बीमारी आए तो, कार्ड आयुष्मान है!
कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या है गांव में, नहीं समाधान है।
पीएम आवास में अब मंत्री प्रधान है!
पात्र ही अपात्र है, अपात्र पात्र खान है!
कागज में जांच है कि झोपड़ी मकान है!
बाबू सरकारी कब्बो केहू ना देखान है!
कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या है गांव में, नही समाधान है।
चौमासेम दुइ हजार, ऊ निधि में सम्मान है!
पांच किलो राशन में वोट कुलि बिकान है!
गाय अब विलुप्त होत कण्डा हेरान है!
कर्ज लइकै एक हजार सिलेंडर भरान है!
कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या है गांव में, नहीं समाधान है।
नौकरी है सरकारी, दादा के खेत बारी!
पट्टा वै पाई गयें जेकरे ना भाई-महतारी!
जेकरे एक इंच नाई भूमि ऊ किसान है!
खेती करै तो कहां? सोचि परेशान है!
कइसन ई शासन है, कइसन विधान है?
समस्या “गम्भीर” है, नहीं समाधान है।
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