बहुत-सी प्रेम कहानियाँ
मर जाती हैं जातियों के तले दबकर,
जातियाँ हँसती हैं और
खिलखिला कर कहती हैं
“लो मैंने तुम्हें मार दिया”
और प्रेम अपनी आख़िरी साँस तक
एक फ़ीके जोश के साथ कहता है
जातियों! एक दिन उठूँगा मैं
और दबा दूँगा तुम्हें गहरा, बहुत गहरा
प्रेम और जाति के इस अंतर्द्वंद्व में
दो प्रेमी भी होते हैं
जिनकी शादियाँ हो जाती हैं
अपनी-अपनी जातियों में।
– आयुष चतुर्वेदी
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