नई दिल्ली/जम्मू: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर देश में गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस भीषण घटना के 12 दिन बाद अब भारत सरकार की प्रतिक्रिया निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। संकेत मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।

सूत्रों के अनुसार, यह बैठक उस समय हुई जब प्रधानमंत्री पहले ही वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख से अलग-अलग मुलाकातें कर चुके हैं। माना जा रहा है कि यह रणनीतिक संवाद श्रृंखला संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी का हिस्सा है।

देश की चेतावनी, दुनिया को संदेश

22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू चालक की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि इस हमले के पीछे सीमा पार से सक्रिय आतंकी नेटवर्क का हाथ है, जिससे भारत की रणनीतिक चिंताएं और भी गंभीर हो गई हैं। पीएम मोदी पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि “दोषियों को ऐसी सज़ा दी जाएगी, जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते।” इस बयान को केवल कड़ी निंदा नहीं, बल्कि प्रतिशोध की नीति की स्पष्ट चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

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राजनाथ का इशारा: जो आप चाहते हैं, वह होगा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत की सेना किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली, उनका संकल्प और जोखिम लेने की क्षमता को देश भली-भांति जानता है। जो आप चाहते हैं, वह जरूर होगा।”हालांकि रक्षा मंत्री ने संभावित कार्रवाई के स्वरूप का कोई खुलासा नहीं किया, लेकिन उनके शब्दों ने जनभावना को बल दिया है और देश को यह भरोसा दिलाया है कि सरकार चुप नहीं बैठेगी।

रणनीतिक चुप्पी, लेकिन स्पष्ट इरादे

हालांकि सरकार ने अब तक पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी विशेष ऑपरेशन की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन उच्चस्तरीय बैठकों की लगातार श्रृंखला, सेना से जुड़ी तैयारियों की खबरें और तीखे बयानों से संकेत मिलता है कि भारत एक सख्त और सटीक रणनीतिक उत्तर की दिशा में बढ़ रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार इस बार सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे कड़े कदमों पर भी विचार कर सकती है, जैसा कि उरी और पुलवामा हमलों के बाद किया गया था।

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