अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ता पक्ष और विपक्ष की बढ़ती मोर्चेबंदी और आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 की लॉन्चिग पर इस हफ्ते पंजाबी अखबारों ने अपनी राय बड़ी प्रमुखता से रखी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष की लामबंदी और राजनीति पर जालंधर से प्रकाशित जगबाणी लिखता है, एक ओर जहां भाजपा विरोधी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा नीत एनडीए को चुनौती देने के लिए एकजुट होने की कवायद में जुट गए हैं, तो दूसरी ओर भाजपा ने भी एनडीए को और मजबूत करने तथा उसका दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। भाजपा विरोधी दलों की 23 जून को पटना में पहली बैठक के बाद 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में दूसरी बैठक हुई।
बैठक में जहां भाजपा के विरुद्ध 26 दलों के नेताओं ने ‘हम एक हैं’ का संदेश देने की कोशिश की, वहीं नए गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ (इंडिया नैशनल डिवैल्पमैंटल इन्क्लूसिव एलायंस) रखा गया है। विरोधी दलों की बैठक के जवाब में 18 जुलाई को ही एनडीए के घटक दलों की बैठक हुई। इसे भाजपा के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। इस बैठक में 38 दलों के शामिल होने का दावा किया गया है। अखबार आगे लिखता है, भाजपा नीत एनडीए तथा भाजपा विरोधी दलों की बैठकें दोनों ही देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही हैं। इससे एनडीए तथा ‘इंडिया’ दोनों ही मजबूत होकर निकलेंगे।
चंडीगढ़ से प्रकाशित पंजाबी ट्रिब्यून लिखता है, विपक्ष की बैठक से पहले, आम आदमी पार्टी की तरफ नरमी दिखाते हुए कांग्रेस ने दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध करने की घोषणा की थी। इस पहल से गठबंधन में यह भावना पनपी है कि राज्यों में आपसी विरोध के बावजूद ये पार्टियां वैचारिक तौर पर करीब आने की कोशिश करेंगी। गठबंधन की अगली बैठक मुंबई में होगी जिसमें संयोजक का नाम तय होगा। अखबार आगे लिखता है कि, जहां विपक्षी दलों को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए गठबंधन जरूरी है, वहीं बीजेपी 2024 में सफलता सुनिश्चित करने और सत्ता में आने के लिए गठबंधन कर रही है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार से बीजेपी चिंतित है। इसलिए बीजेपी अपने सहयोगी दलों को फिर से एकजुट करके उनका विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है। विपक्ष की राजनीति पर अखबार लिखता है, मुख्य सवाल यह है कि क्या विपक्ष लोकसभा चुनाव आम सहमति से लड़ेगा या फिर केवल सीटों के बंटवारे के लिए सहमति बनेगी। स्थिति जो भी हो लेकिन यह तय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव की चाल, आचरण और नतीजे 2019 के चुनाव से अलग होंगे।
पंजाबी जागरण लिखता है, हालिया राजनीतिक गतिविधियों का मतलब है कि अगले साल होने वाले आम चुनावों के लिए गंभीर तैयारी शुरू हो गई है। इस बार कांग्रेस पार्टी अनोखे अंदाज में आगे बढ़ती दिख रही है। दूसरी ओर, एनडीए में बीजेपी के पुराने साथी फिर से उसमें लौटने लगे हैं। इसका मतलब यह है कि जब तक आम संसदीय चुनाव होंगे, तब तक देश में नए समीकरण बनने के साथ एक नया राजनीतिक परिदृश्य देखने को मिलेगा। देश में गठबंधन की राजनीति की पुरानी परंपरा रही है। अगले साल होने वाले आम चुनाव को सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी दलों के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
अज दी आवाज लिखता है, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सभी बड़े और छोटे नेताओं की सांसें सूखती जा रही हैं। कारण यह है कि उन्होंने आज तक देश की जनता के लिए कुछ नहीं किया। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, राष्ट्रीय दल हों या क्षेत्रीय दल, सभी ने जन कल्याण के नाम पर अपने-अपने परिवार का कल्याण किया है। आम जनता गरीबी के दलदल में और धंस गई है, और नेताओं के परिवारों की खुशहाली सिर चढ़कर बोल रही है। सोशल मीडिया और जागरूकता बढ़ाने के अन्य माध्यमों के उपयोग में वृद्धि के साथ, देशवासी राजनीतिक दलों के कथित विकास और समृद्धि के एजेंडे को समझने लगे हैं। इसीलिए लोग चुनाव में इन सबका सामना करने से बचने की नीति अपनाते दिख रहे हैं। लोगों के इस रुझान को देखकर अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों चिंतित हैं अगर लोगों का गुस्सा इसी तरह बढ़ता रहा तो निकट भविष्य में उनका राजनीतिक सफाया तय है। इसीलिए जनता को एक बार फिर बेवकूफ बनाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों क्षेत्रीय पार्टियों को अपना पिछलग्गू बनाकर अपने राज्यों की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं।
चंडीगढ़ से प्रकाशित देशसेवक लिखता है विरोधियों की पटना बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी को अपने एनडीए की याद आई और उसने अपनी बैठक को प्रभावी बनाने के लिए विशेष प्रयास किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के घटक दलों के नेताओं का विशेष स्वागत किया। इस मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह बयान खूब वायरल हुआ जिसमें वह कहते दिखाई देते हैं कि वह अकेले ही सभी विरोधियों पर भारी हैं।
रोजाना स्पोक्समैन लिखता है, विपक्ष के नेताओं ने ईडी से बचने के लिए पार्टी बदलने के बजाय अपनी प्रतिद्वंद्विता को ही अपनी ताकत बना लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘इंडिया; गठबंधन पर कुछ ही पलों में हमला बोलने का मतलब साफ है कि ये गठबंधन बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है। भले ही विशेषज्ञ यह भविष्यवाणी कर रहे हैं कि विपक्ष आज भी बीजेपी के सामने कमजोर है, लेकिन 2024 में ये गठबंधन बिल्कुल अलग रूप में सामने आ सकता है। अखबार लिखता है कि विपक्ष को आम लोगों को यह समझाना होगा कि उनका गठबंधन केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए नहीं है। बल्कि वे आम भारतीय भविष्य बेहतर बनाना चाहते हैं।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिग पर पंजाबी जागरण लिखता है, भारत का चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया। यह मिशन इसलिए खास और महान है क्योंकि इसके साथ ही भारत चांद पर उतरने वाला दुनिया का चैथा देश बन जाएगा। भारत ने अपना पहला रॉकेट 1963 में अंतरिक्ष में भेजा था। जालंधर से प्रकाशित अजीत लिखता है, दो दशक पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी। हालांकि भारत अमीर और विकसित देश नहीं है, लेकिन इसे इसरो की एक बड़ी उपलब्धि माना जाना चाहिए कि वह अन्य देशों की तुलना में बहुत कम लागत में अपने मिशन को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। चंडीगढ़ से प्रकाशित पंजाबी ट्रिब्यून लिखता है, भारत चंद्रमा के दक्षिणी भाग में यान उतारने वाला पहला देश था देश क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ने चंद्रमा की मध्य रेखा के पास अपनी जांच शुरू की थी। चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई वर्षों के शोध का नतीजा है। चंद्रयान-3 को भेजकर भारत अपनी अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा के एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुका है। यह देश के वैज्ञानिकों की निरंतर मेहनत का परिणाम है।
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देश सेवक लिखता है, भारत ने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम अपेक्षाकृत देर से शुरू किया। अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ (रूस), चीन और जापान इस क्षेत्र में आगे निकल चुके थे, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और सरकारी नीतियों से भारत जल्द ही इन देशों के लगभग बराबर हो गया है। सच कहूं लिखता है, भारत अंतरिक्ष विज्ञान में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने सबसे कम लागत में अंतरिक्ष की दुनिया में उत्कृष्टता का झंडा फहराया है। हम चंद्रमा को जीतने के लिए निकले हैं। उम्मीद है कि देश का यह मिशन सफल होगा और अंतरिक्ष युग में भारत का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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