Nag Panchami 2023: नाग पंचमी भारतीय हिन्दू पंचांग में आने वाले मासिक पंचमी तिथि को कहते हैं जो कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष (आषाढ़ मास) में पड़ती है। यह तिथि हर साल बदलती है, क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथियाँ स्थायी नहीं होतीं। आमतौर पर, नाग पंचमी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मानी जाती है। यह तिथि जुलाई से अगस्त के बीच होती है। आइए जानते हैं कि नाग पंचमी पर क्यों की जाती है नागों की पूजा।
पंचांग के मुताबिक सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि की शुरुआत- 20 अगस्त, दिन रविवार, रात 12:23 मिनट और सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि की समाप्ति- 21 अगस्त, दिन सोमवार, रात 02:00 बजे होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा। नाग पंचमी पूजा की शुभ मुहूर्त- सुबह 05:53 मिनट से 08:30 मिनट तक बताई जा रही है।
नाग पंचमी पर कैसे करें पूजा
नाग पंचमी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान शिव और सर्प देवता की पूजा का अवसर होता है। यह पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यहां आपको नाग पंचमी पर पूजा कैसे करनी चाहिए, इसका एक सामान्य तरीका बताया जा रहा है:
सामग्री
नाग के मूर्ति या फोटो
जल
दूध
धनिया
अक्षत (चावल के दाने)
कुमकुम (हल्दी और कुंकुम)
फूल
दीपक और घी
पूजा थाली
पंचामृत (गंगाजल, दूध, घी, दही, शहद)
पूजा की विधि
सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और सजाएं।
पूजा थाली पर नाग मूर्ति या फोटो, धनिया, अक्षत, फूल, दीपक और पंचामृत रखें।
पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और पावन हों।
पूजा थाली पर दीपक जलाएं और घी डालें।
नाग मूर्ति को धनिया से सजाएं और कुमकुम लगाएं।
फिर पंचामृत से नाग मूर्ति का स्नान कराएं, यानी पानी, दूध, घी, दही और शहद दें।
उसके बाद, दूध की बलि दें, जिसे प्रासाद के रूप में बाद में बांट सकते हैं।
अक्षत चावल से आरती करें और फिर पूजा थाली के सामने प्रदक्षिणा करें।
भगवान शिव की आराधना करें, और उनसे नाग पंचमी की आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
अंत में, पंचामृत, फूल, धनिया और अक्षत को नाग मूर्ति पर छिड़कें और आरती करें।
पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद लें।
यह एक सामान्य तरीका है नाग पंचमी की पूजा करने का। आपके पास अन्य परंपरागत विधियाँ भी हो सकती हैं,
इसलिए आपकी आसानी के अनुसार आप उन्हें भी अनुसरण कर सकते हैं।
नाग पंचमी की कथा
नाग पंचमी का आयोजन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में किया जाता है और यह पर्व नागों की पूजा और उनका सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। नाग पंचमी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
पौराणिक कथाएँ
हिन्दू पौराणिक कथाओं में नागों को महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। कई पौराणिक कथाएँ बताती हैं कि नागों का विशेष महत्व है और उन्हें पूजनीय माना जाता है।
आराधना और आशीर्वाद
नाग पंचमी के दिन, लोग नागों की पूजा करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसका मानना है कि नागों की कृपा से भयभीतियों से रक्षा होती है और धन, समृद्धि और खुशी प्राप्त होती है।
इसे भी पढ़ें: कॅरियर में सफलता के लिए कौन सा रुद्राक्ष करें धारण
कृषि सम्बन्धी महत्व
श्रावण मास में कृषि कार्यों का आरंभ होता है, और नाग पंचमी को किसानों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। नागों के साथ अच्छा व्यवहार करने से फसलों की सुरक्षा और उनकी अच्छी पैदावार होती है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
सांपों का प्रतीक
नाग पंचमी के दिन, सांपों की पूजा की जाती है जो कि हिन्दू धर्म में आस्तिक दृष्टिकोण के तहत भगवान शिव के अनुयायियों की परंपरागत धार्मिक आराधना का हिस्सा है।
पर्यावरणीय संरक्षण
नाग पंचमी के दिन, सांपों की सुरक्षा और प्रतिष्ठा की दिशा में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ प्रजातियाँ संकट में हैं और उनके संरक्षण की आवश्यकता है। इस प्रकार, नाग पंचमी का महत्वपूर्ण रूप से धार्मिक, सांस्कृतिक, और वैज्ञानिक पहलु होता है और यह एक महत्वपूर्ण पर्व हिन्दू समुदाय में मनाया जाता है।
इसे भी पढ़ें: रोग से मुक्ति पाने के लिए के लिए करें ये उपाय