प्रकाश सिंह
वाराणसी: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में भक्तों की जमकर भीड़ देखी गई। शारदीय नवरात्रि यानी मां दुर्गा के अलग अलग रूपों का पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 8 दिन के हैं। इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है। ऐसे में 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र 14 अक्टूबर तक रहेंगे और 15 अक्टूबर को विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा। बता दें कि नवरात्रि के दिन हर छोटे-बड़े मंदिरों में भक्त पहुंचते हैं और मां की पूजा अर्चना करते हैं।
शुक्रवार को नवरात्रि का दूसरा दिन यानी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का दिन माना जाता है। आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के भक्तों को हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। भक्त देवी मां को प्रसन्न कर हर मनोकामना पूरी करेंगे। हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सबसे खास है माना जाता है। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन की मान्यता है। भगवती दुर्गा के नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य उनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
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कहा जाता है जो भक्त देवी के इस रूप की आराधना करता है, उसे साक्षात परब्रह्मा की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। भक्त लाइन में लगकर मां के दर्शन करते हैं। भक्तों मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल चुनरी माला फूल लेकर श्रद्धा भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं और अपनी बारी आने पर मां के दर्शन करते हैं। माना जाता है मां ब्रह्मचारिणी पूर्व जन्म में हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और मुनि नारद के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस तपस्या के कारण इन्हें तपस्विनी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है।
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