लखनऊ: जातिगत जनगणना के साथ देश की आजादी और सुरक्षा के लिये अपनों का बलिदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व सैनिकों की गणना का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। इस सम्बन्ध में देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी विपक्षी राजनीतिक दलों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शहीद परिवार संगठन यूपी की ओर ज्ञापन भेजा गया है। इस मुद्दे पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनुभव शुक्ला का कहना है कि भारत वर्ष सैकड़ों वर्ष विदेशी हुकूमतों का गुलाम रहा है।
देश को स्वतंत्र कराने के लिये सन् 1857 से 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम चला। इस स्वतंत्रता संग्राम में लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना योगदान दिया। उन्होंने अपने शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना भारत को स्वतंत्र कराया। स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न जातियां सम्प्रदाय, धर्म व रियासतों ने योगदान दिया जो कि इतिहास में मौजूद है। अब जब देश में जातिगत जनगणना कराये जाने की तैयारी की जा रही है, तो ऐसे में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं शहीद परिवार संगठन की मांग है कि सन् 1857 से 1947 तक भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जिन जातियों, धर्मों, सम्प्रदायों रियासतों के लोगों ने योगदान दिया था।
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इन लोगों के सम्बन्ध में जानकारी होना नितांत आवश्यक है। जिससे उनकी आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति का पता चल सके। जनगणना कराने में एक अलग से कालम निर्धारित किये जाने से भारत सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा।
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