लखनऊ: आईसीएमआर और आईआईटी विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर आएगी, लेकिन उतनी भयावह नहीं होगी, जितनी दूसरी लहर थी। तीसरी लहर को लेकर अभिभावकों को ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। दूसरी लहर में लगभग 12 प्रतिशत ही बच्चे संक्रमित हुए, जबकि कुल संख्या 41 प्रतिशत है। वयस्क और बुजुर्गों का टीकाकरण हो गया है, अगस्त के अंत तक बच्चों के लिए भी वैक्सीन आने की संभावना है। ऐसे में जब तक बच्चों की वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक हमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
उक्त बातें मुख्य वक्ता केजीएयू के वरिष्ठ सर्जन डॉ. विनोद जैन ने गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 16वें अंक में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
मुख्य वक्ता केजीएयू के वरिष्ठ सर्जन डॉ. विनोद जैन ने कहा कि हमारे देश में 18 वर्ष से कम आयु के लोगों का अभी वैक्सीनेशन नहीं हुआ, इसलिए तीसरी लहर को लेकर लोग ज्यादा चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, जिसके लिए भरपूर नींद, पौष्टिक भोजन, व्यायाम और तनावमुक्त वातावरण जरूरी है। इसके साथ ही बच्चों की सुरक्षा के लिए वयस्कों को वैक्सीन लगवाना बहुत आवश्यक है। मास्क का इस्तेमाल अवश्य करें, इसके इस्तेमाल से संक्रमित होने की संभावना सिर्फ 5 फीसदी रह जाती है।
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उन्होंने कहा कि यदि कोई बच्चा संक्रमित हो जाता है तो उसे हवादार कमरे में ही आइसोलेट करें और उसके श्वसन दर पर विशेष ध्यान रखें। इसके साथ ही चिकित्सक से सलाह जरूर लें। बच्चे की देखभाल वही अभिभावक करे, जो पहले कोरोना संक्रमित हो चुका है या जिसे वैक्सीन लग चुकी है। उन्होंने हाथों को अच्छे से धोने और स्वच्छता रखने की भी सलाह दी।
विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने कहा कि जब कोरोना की पहली लहर आई तो इसके बारे में किसी को ठीक से जानकारी नहीं थी। चिकित्सकों को भी इस स्थिति का अंदाजा नहीं था। वहीं, सरकार की ओर से कोरोना से बचाव को लेकर गाइड लाइन भी जारी की गयी, लेकिन आम जनमानस ने इसका सही तरह से पालन नहीं कि, नतीजन दूसरी लहर भयावह साबित हुई। कोरोना की दूसरी लहर के समय टीकाकरण शुरू हो गया, लेकिन कुछ ही लोगों ने टीका लगवाने में रुचि दिखाई। इसके बाद सरकार और मीडिया ने वैक्सीन के प्रति जागरुक करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर की भयावयता से समाज में डर फैल गया, जिसका असर बच्चों के मानिसक स्वास्थ्य पर भी पड़ा। हालांकि सरकारों ने समय रहते दूसरी लहर पर काबू पा लिया।
उन्होंने कहा कि महामारी के समय मीडिया को भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का सही से पालन करना चाहिए। सोशल मीडिया ने हमारे समाज में भय फैलाने का काम किया है, हमें सोशल मीडिया का उपयोग करते समय जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अभिभावक स्वयं कोरोना गाइड लाइन का पालन करें और बच्चों को तनाव मुक्त वातावरण दें। उन्होंने कहा कि बच्चों के आत्मबल को बढ़ाये, जो कोरोना से लड़ने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। अभिभावक अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दें। संस्कार मोबाइल से नहीं, साहित्य पढ़ने और लिखने से आएंगे।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी डॉ. शैलेष मिश्र ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा काफी प्रभावित हुई है, जिसको लेकर विकल्प भी तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन इन पर ध्यान देने की भी आवश्यकता है। कोरोना काल से पहले बच्चों की शिक्षा के लिए अभिभावक सिर्फ शिक्षकों को जिम्मेदार मानते थे, लेकिन वर्तमान में अभिभावकों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है। अभिभावकों और शिक्षकों की ज़िम्मेदारी बनती है कि पहले की भांति बच्चों की शिक्षा चलती रहे।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे सहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
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