लखनऊ: कोरोना संक्रमण के मामले आना कम जरूर हुए हैं, लेकिन पूरी तरह ख़त्म नहीं हुए हैं। ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखने की माता-पिता के साथ ही शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अब स्कूल भी खुलने लगे हैं, ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को पूरी सावधानियों के साथ और कोरोना प्रोटोकाल के तहत बच्चों को स्कूल भेजें। यदि बच्चों में कोई लक्षण दिखें तो उन्हें स्कूल न भेजें और चिकित्सक से परामर्श लें। उक्त बातें मुख्य वक्ता केजीएमयू के चिकित्सक डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 22वें अंक में कही। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
मुख्य वक्ता डा. आनन्द श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना तीसरी लहर संभवत: आएगी, लेकिन यह किस रूप में आएगी, यह कहना मुश्किल है। हालांकि कुछ सावधानियां बरतकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभिभावक कोरोना प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करें, ताकि बच्चे भी उनका अनुसरण कर सकें। उन्होंने कहा कि दो गज की दूरी, मास्क और हाथों का सेनेटाइजेशन करना न भूलें। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए खान-पान पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया और कहा कि उन्हें फास्ट फूड की जगह हरी सब्जियों को खिलाने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि वयस्कों का टीकाकरण हो जाने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। ये भ्रम न रखें कि वैक्सीन लग गई है तो कोरोना नहीं होगा, सिर्फ इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, इसलिए सावधानी रखनी होगी।
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विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए हमें वही सावधानियां बरतनी होंगी, जो पहली और दूसरी लहर के समय बरतीं थीं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, वह घर में कैदी की तरह रहने को मजबूर हैं, जिससे बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में अभिभावक उनके तनाव को कम करने के लिए इनडोर गेम के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि बच्चे अपने आप को अकेला न महसूस करें, इसके लिए बच्चों को समय दें, उनके साथ बैठे और उनसे बातें करें। उन्होंने छोटे बच्चों को अभी स्कूल भेजने की बात पर असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को संभालना अभी मुश्किल होगा, क्योंकि एक भी बच्चा संक्रमित हुआ तो समाज के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष रामकृष्ण चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के समय इससे बारे में ज्यादा नहीं पता था, लेकिन अब समाज में काफी जागरूकता आई है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से भी हम उत्साह के साथ निपटेंगे, लेकिन अब स्कूल खुलने लगे है, इसलिए अभिभावकों को और अधिक सावधानी बरतनी होगी। विद्या भारती के शिक्षक अभिभावकों और छात्रों को कुटुम्ब प्रबोधन के जरिए जागरूक करने का भी प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही स्कूलों में भी वातावरण को बदलने पर विशेष जोर दिया गया है, ताकि बच्चे सुरिक्षत रह सकें। उन्होंने कहा कि बच्चों की इम्युनिटी प्रकृति प्रदत्त मजबूत होती है, सिर्फ उनके मनोबल को बनाए रखें और उनके अंदर डर पैदा न होने दें। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना गाइडलाइन का पालन करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे ने किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख नरेन्द्र सिंह, रजनीश वर्मा, अभिषेक, शुभम सिंह, अतहर रजा, शोभित सहित डिजिटल टीम मौजूद रही।
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