Land for Job Scam Case: नौकरी के बदले जमीन घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कुनबे की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन ‘घोटाला’ मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को लेकर लालू प्रसाद यादव की बेटियों और करीबी सहयोगियों के परिसरों पर 10 मार्च को छापेमारी शुरू की। ईडी की यह कार्रवाई 11 मार्च तक जारी रहा। इस दौरान ईडी के हाथ कई अहम सुरग लगे हैं।
ईडी के मुताबिक छापेमारी में उसे 1 करोड़ रुपये नकद, 1900 अमेरिकी डॉलर, करीब 540 ग्राम गोल्ड, सोने के 1.5 किलोग्राम जेवरात (इसकी कीमत करीब 1 करोड़ 25 लाख रुपये) और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। ईडी का कहना है कि मामले की तहकीकात में पता चला कि करीब 600 करोड़ रुपये में से 350 करोड़ की अचल संपति खरीदी गई और 250 करोड़ रुपये बेनामी प्रोपर्टी के जरिए रूट्स किये गए। इतना ही नहीं यह भी पता चला है कि इसमें से अधिकतर जमीन पटना के पॉश इलाकों में गलत तरीके से तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू यादव के जरिए भारतीय रेलवे में नौकरी देने के नाम पर हड़प ली गई। इस जमीन की कीमत वर्तमान समय में करीब 200 करोड़ रुपये है।
ईडी सूत्रों के मुताबिक जिनके नाम पर बेनामी प्रोपर्टी, शेल कंपनी और जिन्हें फायदा पहुचाया गया है, उनकी पहचान कर ली गई है। इसमें न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का बंगला मेसर्स एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट के नाम पर है, लेकिन उस पर नियंत्रण बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके परिवार का है। कागजों में इस प्रोपर्टी की कीमत मात्र 4 लाख रुपये दर्शाया गया है, जबकि असल में इसकी कीमत 150 करोड़ रुपये है।
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यह है मामला
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2004-2009 के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न ज़ोन में समूह डी में विभिन्न व्यक्तियों की नियुक्ति की गई थी और इसके बदले में उन्होंने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के नाम कर दी थी।
आरोप है कि लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत उनके परिवार ने अवैध तरीके से अधिग्रहीत ऐसे चार भूखंडों को मेरिडियन कंस्ट्रक्शन इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी को 7.5 लाख रुपये की कीमत पर बेच दिया। जबकि भूखंडों का बाजार साढ़े तीन करोड़ रुपये था। वहीं इस कंपनी की मिल्कियत और नियंत्रण कथित तौर पर दोजाना के पास था।
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