Karva Chauth 2025: करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए उनके पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से जुड़ा है। इस दिन महिलाएं बिना पानी के व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करती हैं। मान्यता है कि यह व्रत उनके सुहाग की रक्षा करता है। लेकिन अक्सर एक सवाल दिमाग में आता है कि क्या अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं?

जवाब है, हाँ! अब कई कुंवारी कन्याएं भी अपने भविष्य के जीवनसाथी के लिए यह व्रत रखने लगी हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें एक अच्छा और योग्य पति मिलने के योग बनते हैं। हालाँकि, उनके लिए व्रत के नियम सुहागिन महिलाओं से थोड़े अलग हैं। आइए समझते हैं क्या हैं ये अंतर।

Karva Chauth

व्रत का तरीका: निर्जला नहीं, फलाहार है जरूरी

सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत (बिना पानी के) रखती हैं, लेकिन अविवाहित लड़कियों के लिए ऐसा जरूरी नहीं है। उन्हें फलाहार लेने की छूट होती है। दरअसल, उनके लिए ‘सरगी’ और ‘बायना’ जैसी रस्में नहीं होतीं, इसलिए निर्जला व्रत नहीं रखा जाता।

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पूजन की रस्में: चंद्रमा को अर्घ्य नहीं, तारों को अर्घ्य

सबसे बड़ा अंतर पूजन की विधि में है। अविवाहित लड़कियों को चंद्रमा को अर्घ्य देने की जरूरत नहीं होती। वे रात में तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं। वे भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा में शामिल तो हो सकती हैं, लेकिन मुख्य पूजन कर नहीं सकतीं।

सुहाग के प्रतीकों का प्रयोग न करें

कुंवारी लड़कियों को सिंदूर, चूड़ियां जैसे सोलह शृंगार के प्रतीकों से दूर रहना चाहिए। हालांकि, इस दिन साफ-सुथरे और सुंदर पारंपरिक कपड़े पहनने में कोई हर्ज नहीं है। साथ ही, उनके लिए करवा बदलने या पूजा की थाली घुमाने की रस्म भी नहीं होती, क्योंकि यह सिर्फ विवाहित महिलाओं के लिए है।

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