Khushi Dubey: खुशी दुबे के अरमान अब केवल सपने रह गए। शादी के बाद गृहस्थ जीवन में कदम रखा ही था। सबकी तरह उसने भी परिवार के साथ कई अरमान संजोए थे। लेकिन दो जुलाई की वह काली रात और कानपुर पुलिस की करतूत ने खुशी दुबे (Khushi Dubey) को अब केवल नाम की खुशी करके छोड़ा है। बिकरू गांव कांड । Bikeru Kand) में उसका जुर्म क्या है, इसका सही जवाब न तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पास है, न उसे जेल पहुंचाने और उसके साथ ज्यादती करने वाली पुलिस के पास है और न ही जिस तरह से उसे जेल में रखा गया वह संविधान में वर्णित है। ऐसा कानून के विशेषज्ञों का कहना है। बावजूद इसके खुशी दुबे को 30 महीने तक जेल में पुलिस की कड़ी यातना सहनी पड़ी।

जेल से रिहा होने के बाद खुशी दुबे (Khushi Dubey) के दर्द की कहानी सामने आनी शुरू हो गई है। हालांकि बिना किसी गुनाह के 30 महीने तक जेल में रहने वाली खुशी दुबे अभी कुछ खुलकर बोल पाने में असमर्थ नजर आ रही है। हां, उसका सरकार, जनता और संविधान के रक्षकों से सवाल जरूर है कि उसका जुर्म क्या है। खुशी का कहना है कि दो जुलाई की रात सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ कुछ लोगों की आवजें सुनाई दे रही थीं। इसके अलावा उसे कुछ नहीं पता। चूंकि वह ससुराल में नई थी। ठीक से किसी से परिचित नहीं थी, इसलिए वह न तो कुछ समझ पाई और न ही वहां से कहीं निकल पाई। नतीजा निर्दोष होने के बावजूद भी खुशी दुबे को कानुपर पुलिस की बर्बरता का शिकार होना पड़ा। पुलिस ने ऐसे गंभीर आरोपों में खुशी को जेल में डाल दिया, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी। खुशी दुबे के मुताबिक विकास दुबे को उसने अपनी शादी में पहली और अंतिम बार देखा था।

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जेल से रिहा होने के बाद पनकी स्थित अपने घर (मायके) पहुंची खुशी दुबे (Khushi Dubey) ने अपना यह दर्द साझा किया है। घर पहुंचते ही खुशी ने देहरी के पैर छुए और इसके बाद अंदर प्रवेश किया। इस दौरान मां गायत्री ने मिठाई खिलाकर खुशी का स्वागत किया। खुशी का बड़ी बहन नेहा के बच्चे सगुन व वेद को आंसू झलक पड़े और उसने दोनों को गले से लगा लिया। खुशी दुबे ने वहां मौजूद पत्रकारों को बताया कि उस रात पति अमर दुबे उसके साथ थे। विकास दुबे से अमर के क्या संबंध थे? इस सवाल पर खुशी ने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता। खुशी दुबे ने बताया कि ये 30 माह जेल के अंदर मेरे जीवन के सबसे कठिन दिन थे। बाहर आने के बाद बड़ी राहत मिली है। आगे की जिंदगी के बारे में खुशी कहती हैं कि वह पढ़ाई कर अधिवक्ता बनना चाहती हैं।

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खुशी दुबे के खिलाफ सबूत गढ़े गए हैं: शिवाकांत

खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने खुशी दुबे के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि खुशी दुके खिलाफ पुलिस के पास कोई ठोस सुबूत नहीं थे। इसके बाद भी 17 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने खुशी के खिलाफ सुबूत जुटाए नहीं, बल्कि गढ़े हैं। उन्होंने कहा, मुझे भरोसा था कि इंसाफ जरूर मिलेगा और न्याय की जीत होगी।

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