
चीजों को सुलझाना
जिंदगी भर चलता रहेगा,
आरंभ में
दूध की बोतल खोजोगे
खिलौनों की भीड़ में,
फिर पंतग की उलझी हुई डोर सुलझाओगे
जवानी में सुलझाते रहोगे रोजी रोटी की उलझनें
बुढ़ापा कट जायेगा अखबार के सुडोकू को
सुलझाते सुलझाते,
और जिस दिन सब कुछ सुलझ जाएगा
उस दिन अंत हो जायेगा।
– योगेश पांडे
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