Shyam Kumar
श्याम कुमार

गॉड ये कैसा खेल हो गया,
पप्पू फिर से फेल हो गया।

खूब सिखाया, खूब पढ़ाया,
तोते-जैसा उसे रटाया।
इधर भेजकर, उधर भेजकर,
जगह-जगह नाटक करवाया।

फिर भी क्यों बेमेल हो गया?
पप्पू फिर से फेल हो गया।

आज बुरा सपना यह देखा,
दुश्मन सिंहासन पर बैठा।
जांच कराई उसने भारी,
पकड़ गई हर लूट हमारी।

फिर, हम सबको जेल हो गया,
पप्पू फिर से फेल हो गया।

हम सोचा था ताज रहेगा,
सदा हमारा राज रहेगा,
गॉड जिएंगे अब कैसे हम,
बिना ताज के निकल रहा दम।

बिन इंजन की रेल हो गया,
खत्म हमारा खेल हो गया।
‘श्याम’ अंधेरा छाया, जैसे
पूरा ग्रिड ही फेल हो गया।

गॉड ये कैसा खेल हो गया,
पप्पू फिर से फेल हो गया।

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