लोकतंत्र के विजयोत्सव से,
ज़न ज़न में अभय भाव जागे।
जीवन मूल्य सनातन होंगे,
हो भारत में रामराज्य आगे।।
एकात्म दृष्टि होगी समाज में,
होगी सबको बढ़ने की सुविधा।
चहुं राष्ट्र भाव सर्वोपरि होगा,
न मंगल गति में कोई दुविधा।।
हो भेदभाव समूल तिरोहित,
शुभ श्रेष्ठ बनेंगे सबके जीवन।
छूटे बिछुड़े फिर सभी मिलेंगे,
होंगे उच्च भाव से प्रेरित मन।।
होगा अखंड भारत फिर से,
वे दीवारें स्वतः समूल हटेंगी।
भारतीय श्रेष्ठ गौरव जागेगा,
भ्रांतियां सभी स्वमेव छटेंगी।।
हो विश्व विजय का शंखनाद,
सुख शांति समृद्धि दृष्टि लानी।
वसुधा होगी परिवार हमारा,
सु-सामर्थ्य शक्ति हमको पानी।।
बृजेंद्र पाल सिंह
राष्ट्रीय संगठन मंत्री लोकभारती
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