गोपाल बहुत आलसी व्यक्ति था। घरवाले भी उसकी इस आदत से परेशान थे। वह हमेशा से ही चाहता था कि उसे एक ऐसा जीवन मिले, जिसमें वह दिनभर सोए और जो चीज चाहे उसे शय्या में ही प्राप्त हो जाए। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद वह स्वर्ग में पहुंच गया, जो उसकी कल्पना से भी सुंदर था। गोपाल सोचने लगा काश! मैं इस सुंदर स्थान पर पहले आ गया होता।

बेकार में धरती पर रहकर काम करना पड़ता था। खैर, अब मैं आराम का जीवन जिऊंगा वह यह सब सोच ही रहा था कि एक देवदूत उसके पास आया और हीरे-जवाहरात जड़े शय्या की ओर संकेत करते हुए बोला- आप इस पर विश्राम करें। आपको जो कुछ भी चाहिए होगा, शय्या पर ही मिल जाएगा। यह सुनकर गोपाल बहुत प्रसन्न हुआ।

अब वह दिन-रात खूब सोता। उसे जो चाहिए होता, शय्या पर मंगवा लेता। कुछ दिन इसी तरह चलता रहा। लेकिन अब वह उकताने लगा था। उसे न दिन में चैन था, न रात में नींद। जैसे ही वह बिस्तर से उठने लगता दास-दासी उसे रोक देते। इस तरह कई महीने बीत गए। गोपाल को विश्राम का जीवन बोझ लगने लगा। स्वर्ग उसे बेचैन करने लगा था। वह कुछ काम करके अपना दिन बिताना चाहता था। एक दिन वह देवदूत के पास गया और उससे बोला- मैं जो कुछ करना चाहता था, वह सब करके देख चुका हूं। अब तो मुझे नींद भी नहीं आती। मैं कुछ काम करना चाहता हूं। क्या मुझे कुछ काम मिलेगा? आपको यहां विश्राम करने के लिए लाया गया है। यही तो आपके जीवन का सपना था। क्षमा कीजिए, मैं आपको कोई काम नहीं दे सकता। देवदूत बोला। गोपाल ने चिढ़कर कहा- यह क्या बात है। मैं इस जीवन से परेशान हो चुका हूं। मैं इस तरह अपना समय नहीं व्यतीत कर सकता। इससे अच्छा तो आप मुझे नर्क में भेज दीजिए।

इसे भी पढ़ें: जरासंध के जन्म एवं मृत्यु का रहस्य

देवदूत ने धीमे स्वर में कहा- आपको क्या लगता है आप कहा हैं? स्वर्ग में या नर्क में? मैं कुछ समझा नहीं- गोपाल ने कहा। देवदूत बोला- असली स्वर्ग वहीं होता है, जहां मनुष्य दिन-रात परिश्रम करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। उनके साथ आनंद के क्षण व्यतीत करता है और जो सुख-सुविधांए मिलती है उन्हीं में प्रसन्न रहता है। लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं किया। आप तो हमेशा विश्राम करने की ही सोचते रहे।

जब आप धरती पर थे तब आराम करना चाहते थे। अब आपको आराम मिल रहा है, तो काम करना चाहते हैं। स्वर्ग के आनंद से उकताने लगे हैं। गोपाल बोला- लगता है अब मुझे समझ आ गया है कि मनुष्य को काम के समय काम और विश्राम के समय विश्राम करना चाहिए। दोनों में से एक भी चीज ज्यादा हो जाए, तो जीवन में नीरसता आ जाती है। सच है, मेरे जैसे आलसी व्यक्तियों के लिए तो एक दिन स्वर्ग भी नर्क बन जाता है।

इसे भी पढ़ें: थूकने वालों से दूर रहो

Spread the news