आचार्य संजय तिवारी

गोवा: गोवा में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्था के तत्वावधान में ‘डिजिटल भारत’ विषय पर तीन दिवसीय विमर्श शुरू हो गया है। यह इस चर्चा श्रृंखला का तीसरा चरण है, जिसमें देश भर से लगभग 200 डिजिटल रूप से सक्रिय युवा सचेतक (कैडर) शामिल हुए हैं।

बुधवार, 24 सितंबर की शाम हुए उद्घाटन सत्र की खास बात गोवा और महाराष्ट्र के युवा मुख्यमंत्रियों का युवाओं से सीधा संवाद था। इस संवाद के जरिए यह समझाने का सार्थक प्रयास किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 के लक्ष्य के रूप में जो सपना देखा है, वह कैसे जमीन पर उतर रहा है। इस कार्यक्रम में विकसित भारत के उस मॉडल की मजबूत नींव साफ दिखाई दी, जहाँ इतिहास फिर से लिखा जा रहा है, देश बदल रहा है और एक नए, विकसित, युवा भारत का निर्माण हो रहा है।

गोवा की असली पहचान की बात: डॉ. प्रमोद सावंत

कार्यक्रम के पहले चरण की शुरुआत गोवा के युवा और ऊर्जावान मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने की। पेशे से डॉक्टर रहे सावंत ने गोवा की उस असली पहचान से सभी को रूबरू कराया, जो सैकड़ों साल की गुलामी में कहीं खो सी गई थी। उन्होंने कहा कि गोवा को सिर्फ बीच और बीयर की पहचान से आगे बढ़कर, भगवान परशुराम, महादेव और हजारों मंदिरों वाली अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाएगा। उन्होंने अयोध्या से काशी और फिर दक्षिण की काशी कहलाने वाले गोवा की धार्मिक-सांस्कृतिक यात्रा के बारे में बताया। डॉ. सावंत ने इस बात का जिक्र करते हुए दुख जताया कि गोवा भारत को आजादी मिलने के 14 साल बाद पुर्तगालियों के चंगुल से आजाद हुआ, जिससे उसके विकास में देरी हुई। फिर भी, गोवा आज शिक्षा, साक्षरता, स्वास्थ्य जैसे मामलों में अव्वल राज्यों में शामिल है। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री मोदी के सपनों का भारत बनाने का लक्ष्य गोवा 2037 तक हासिल कर लेगा।

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तकनीक और विरासत का समन्वय: देवेंद्र फडणवीस

दूसरे चरण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने युवाओं के सामने अपनी बात रखी। एक तकनीक-प्रेमी के रूप में जाने जाने वाले फडणवीस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे विषयों पर गहन चर्चा की। उन्होंने तकनीकी विकास से पैदा होने वाली चुनौतियों और उनके समाधानों पर बात की और बताया कि कैसे तकनीक का लाभ लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में उठाया जा सकता है। उन्होंने महाराष्ट्र की समृद्ध विरासत – जैसे 5 ज्योतिर्लिंग, छत्रपति शिवाजी महाराज के किले और पश्चिमी घाट – को पर्यटन के विशाल अवसर के रूप में पेश किया। फडणवीस ने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र सिर्फ बॉलीवुड नहीं, बल्कि बहुत कुछ है।

उन्होंने संचार के बदलते माध्यमों पर भी प्रकाश डाला। पहले प्रिंट मीडिया, फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अब सोशल मीडिया के दौर में सरकारों के लिए युवा कंटेंट क्रिएटर्स के सीधे संपर्क में आना जरूरी हो गया है, ताकि उनकी उपलब्धियों की सही जानकारी जनता तक पहुंच सके।

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सहज और खुला माहौल

इस विमर्श की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि दोनों ही मुख्यमंत्रियों के संबोधन में कोई राजनीतिक रंग नहीं दिखा। उनकी बातचीत की शैली एक प्रोफेसर की तरह ज्ञानवर्धक और सहज थी। युवाओं के सवालों के सीधे और स्पष्ट जवाब दिए गए।

निश्चित ही, इस सफल आयोजन के लिए प्रबोधिनी के पूरे दल, विशेष रूप से डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, नैतिक मुले और डॉ. रश्मिणी की टीम बधाई की पात्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा युवा शक्ति पर लगातार जोर देने की प्रेरणा से, गोवा की इस पावन धरती पर डिजिटल भारत के निर्माण का यह अभियान और तेज होता दिख रहा है।

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