Ghusphathiya Review: देश की सुरक्षा का आधार उसकी सेना की ताकत नहीं, बल्कि उसके जासूसों की काबिलियत होती है। चाणक्य का कहना था कि सत्ता, संपत्ति, बदला और महिलाओं का प्रभाव किसी भी राज को तोड़ने में सहायक हो सकता है। यदि आज चाणक्य जीवित होते, तो शायद वे डिजिटल निगरानी को भी इस सूची में शामिल करते। डिजिटल जासूसी, खासकर फोन टैपिंग, आधुनिक जासूसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस विषय पर बनी फिल्म ‘घुसपैठिया’ (Ghusphathiya) ने इस कमी को पूरा किया है।

कहानी की झलक

फिल्म ‘घुसपैठिया’ (Ghusphathiya) की कहानी एक ईमानदार अफसर रवि (विनीत कुमार सिंह) की है, जिसे फोन टैपिंग का काम सौंपा जाता है। यह काम शुरू में उसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन धीरे-धीरे वह इसका इस्तेमाल लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए करने लगता है। इस कहानी में कई मोड़ आते हैं और एक प्रमुख ट्विस्ट फिल्म को और भी दिलचस्प बना देता है। इस ट्विस्ट को जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।

फिल्म (Ghusphathiya) की विशेषताएँ

फिल्म ‘घुसपैठिया’ (Ghusphathiya) का विषय अपने आप में काफी आकर्षक है, और यही वजह है कि दर्शक इसे देखकर बोर नहीं होते। हालांकि फिल्म में कोई बड़े सितारे नहीं हैं, लेकिन विनीत कुमार सिंह और अक्षय ओबेरॉय जैसे टैलेंटेड एक्टर्स के साथ एक फिल्म को सिनेमा हॉल में रिलीज करने का साहस दिखाया गया है। फिल्म की इमर्सिवनेस और प्रभावी स्क्रीनप्ले इसे देखने लायक बनाते हैं।

निर्देशन और राइटिंग

फिल्म के निर्देशक सुसी गणेशन ने ‘घुसपैठिया’ में अपने दृष्टिकोण को बखूबी प्रस्तुत किया है। तमिल सुपरस्टार विक्रम के साथ काम कर चुके गणेशन की यह दूसरी हिंदी फिल्म है। ‘घुसपैठिया’ में उन्होंने कई इनोवेटिव सीन और विचारशील निर्देशन से फिल्म को एक खास मुकाम पर पहुंचाया है। एक विशेष सीन में, जहां लोगों की शक्लों में जानवरों को दिखाया गया है, निर्देशक की कल्पनाशीलता और क्रिएटिविटी का परिचय मिलता है।

Ghusphathiya

एक्टिंग

विनीत कुमार सिंह और अक्षय ओबेरॉय दोनों ही अपनी एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। विनीत कुमार सिंह ने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘मुक्केबाज’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है, जबकि अक्षय ओबेरॉय ने अपनी एक्टिंग का प्रदर्शन ओटीटी और फिल्मों दोनों में किया है। उर्वशी रौतेला भी अपनी भूमिका में ठीक-ठाक नजर आई हैं। दोनों मुख्य कलाकारों ने निर्देशक के विजन को पूरी तरह से न्याय दिया है।

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फिल्म देखें या न देखें

फिल्म की कमियों के बावजूद, जैसे कि बड़े सितारे न होना और उच्चतम स्तर की सिनेमाटोग्राफी का अभाव, ‘घुसपैठिया’ एक महत्वपूर्ण और सोचने पर मजबूर करने वाली फिल्म है। आज के डिजिटल युग में फोन और सोशल मीडिया पर घुसपैठ का मुद्दा हर किसी के लिए प्रासंगिक है। फिल्म ‘घुसपैठिया’ इस मुद्दे को बखूबी उजागर करती है और इसलिए इसे एक मौका देना चाहिए। कुल मिलाकर, फिल्म ‘घुसपैठिया’ को उसके सशक्त विषय और प्रभावशाली कहानी के लिए चार स्टार मिलते हैं। डिजिटल दुनिया में घुसपैठ के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हुए यह फिल्म एक नई सोच और अनूठी कहानी के साथ दर्शकों के सामने आई है।

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