अयोध्या: डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Ram Manohar Lohia Avadh University) भ्रष्टाचार (Corruption) की त्रिवेणी बन चुकी है। यहां पर आने वाले कुलपतियों ने अवैध और नियम विरुद्ध नियुक्तियां करके इसे भ्रष्टाचार (Corruption) का अड्डा बना दिया है। समाजसेवी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नाथ बक्श सिंह ने कुलाधिपति और अखिल भारतीय चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक पंडित कृपानिधान तिवारी ने यूपी सीएम से अनियमितताओं की न्याययिक जांच कराकर नियुक्तियों को निरस्त करने की मांग की है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Ram Manohar Lohia Avadh University) के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह द्वारा किए गए नियुक्ति में कदाचार से जहां पर विश्वविद्यालय का नाम धूमिल हुआ है वहीं पर वर्तमान भाजपा सरकार के जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार विरोधी नीति को धक्का लगा है, जिस पर कड़ी कार्रवाई करना सरकार की अस्मिता का सवाल है। शिक्षा के इस पवित्र मंदिर को आने वाले अब तक के उधारी के कुलपतियों ने लूट कर खोखला बना दिया है इसमें कई प्रो. यसबी सिंह, जीसीआर जायसवाल आदि के खिलाफ शासन से शिकायती पत्रों पर जांच हुई और वह दोषी भी पाए गए। परंतु आज तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई, जिसके चलते विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कुलपतियों के हौसले काफी बुलंद है।
एसोसिएट प्रोफेसर की शासन से अनुमति मिलने के बाद की गई नियुक्तियों में सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार उमानाथ सिंह परीक्षा नियंत्रक के भाई अनिल कुमार सिंह अनुक्रमांक 20 2200 2014 अंबेडकर चेयर के प्रत्याशी थे, कुलपति की पुत्र वधू सविता चंदेल गणित एवं सांख्यिकी विषय में चयन सहायक प्रोफेसर पद पर कर लिया है। विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नीलम पाठक संयोजक आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चियन प्रकोष्ठ की रिश्तेदार गरिमा मिश्रा अनुक्रमांक 20 2200 2089 अंबेडकर चेयर के प्रतीक्षारत अभ्यर्थी थे।
कुलपति के कथित ओएसडी शैलेंद्र सिंह अंबेडकर चेयर/प्रौढ़ शिक्षा विभाग में अभ्यर्थी थे। सूत्रों की मानें तो कथित कुलपति के ओएसडी शैलेंद्र सिंह ने परीक्षा एजेंसी को प्रभाव में लेकर प्रश्न पत्र पहले ही प्राप्त कर परीक्षा की सुचिता समाप्त कर दिया है। अधिकारियों की मिलीभगत से परीक्षा की संयोजन की अहर्ता न रखते हुए भी बिना शासन की अनुमति के छिपाकर के अधिकारियों के रिश्तेदारों, परिचित अभ्यर्थी होने के बाद भी परीक्षा विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अनियमित ढंग से नियुक्तियां कर डाली है।
इतिहास संस्कृत व पुरातत्व विभाग में चयनित डॉक्टर प्रीति सिंह वह रवि प्रकाश चौधरी अन्य चयनित अभ्यर्थियों की अंकों में समानता होने पर भी चयन न होने की जांच होने पर सच्चाई अपने आप खुल जायेगी। परीक्षा की सुचिता को तार-तार करने का आरोप स्वयं प्रमाणित हो जायेगा। प्रोफ़ेसर महिमा चौधरी एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अवध नारायण डॉक्टर प्रदुम नारायण द्विवेदी की विश्वविद्यालय की पूर्व की सेवाएं दो हजार अट्ठारह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा 10 -2के तहत सेवाएं जोड़ने योग्य नहीं थी, फिर भी जोड़ कर अनुचित ढंग से लाभ देकर एसोसिएट प्रोफेसर में नियुक्ति कर दी गई।
डॉ अवध नारायण अंबेडकर चेयर में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर अकेले अभ्यर्थी थे न्यूनतम कोरम न पूरा होने के बाद भी उनकी नियमों की अनदेखी करके नियुक्ति कर दी गई। पर्यावरण विज्ञान विभाग में 799 अंक के एपीआई धारक अनूप सिंह वह 473 अंक एपीआई धारक संगीता यादव को छोड़कर 152 अंक पाने वाली महिमा घका नियम विरुद्ध न्यूनतम अंक होने के बाद भी चयन कर लिया गया। अन्य बहुत से अभ्यर्थी यूजीसी के मानक ना पूरा करने के बाद भी साक्षात्कार के लिए बुलाए गए थे। डॉक्टर शैलेंद्र सिंह के चयन दो पदों पर भूगोल विषय में परास्नातक व पीएचडी है, इनका चयन नियमों को सिथिल करके अर्थशास्त्र समाजशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान स्नातक सामाजिक भूगोल जनसंख्या विज्ञान में विषय जोड़ दिए गए। जबकि चयनित डॉक्टर शैलेंद्र सिंह समाज भूगोल का स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर मात्र एक प्रश्न पत्र के रूप में पढ़े हैं।
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अंबेडकर चेयर एवं प्रौढ़ शिक्षा पर कर दिया गया। जारी विज्ञापन में रोस्टर निर्धारण के उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 का विद्यालय की परीक्षा एजेंसी द्वारा उल्लंघन करके रोस्टर विज्ञापित पदो पर न होकर के समस्त स्वीकृत पदों पर लगाया गया है। विभागों के नाम कभी हिंदी व कभी अंग्रेजी वर्णमाला से लिए गए हैं। इस तरह से वर्तमान में डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Dr. Ram Manohar Lohia Avadh University) के कुलपति प्रोफेसर रविशंकर सिंह द्वारा सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में भारी गोलमाल अनियमितता की गई है। इसकी न्यायिक जांच होने पर दूध का दूध पानी का पानी अपने आप अलग हो जाएगा।
इसलिए समाजसेवी डॉ. सिंह अखिल भारतीय चाणक्य परिषद एवं श्री श्री परशुराम सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित कृपा निधान तिवारी सहित भारतीय जनता पार्टी तमाम जिले के विद्वत्व समाज के लोगों, अधिवक्ताओं ने इस शिक्षा के मंदिर में किए गए भारी गोलमाल पर कड़ा विरोध जताते हुए देश के राष्ट्रपति व उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री से कड़ा निर्णय लेकर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के वादे को पूरा करना होगा। इन शिक्षा के मंदिरों में यह जा रहे घोटाले और भ्रष्टाचार पर जहां लगाम लगेगी वहीं पर गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों का चयन हो सकेगा। उपरोक्त आरोप के सम्बंध मे दूरभाष पर वार्ता करने का कुलपति एवं रजिस्ट्रार से प्रयास किया गया, परंतु वार्ता न होने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है।
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