बस्ती: शुक्रवार को समाजवादी पार्टी अधिवक्ता सभा जिलाध्यक्ष राजेश यादव के संयोजन में स्वाधीन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी 138वीं जयंती (Dr. Rajendra Prasad Jayanti) को अधिवक्ता दिवस के रूप में याद किया गया। अधिवक्ता राजेश यादव ने जनपद बार के निकट नई विल्डिंग में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सन् 1917 में जब गाँधीजी ने चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठायी तभी राजेंद्र बाबू की भेंट गाँधी से हुई और वे बापू के शिष्य हो गये। उन्होंने चलती वकालत को छोड़ देश सेवा का व्रत लिया और आजीवन उसका निर्वहन किया।
एक अधिवक्ता के रूप में भी उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा। राजेंद्र बाबू भारतीय संस्कृति और सामान्य जनता के प्रतिनिधि थे, इसलिए वे सबके प्यारे थे। वे सरल जीवन और ऊँचे विचार के जीते जागते उदाहरण थे। अधिवक्ता शव्वीर अहमद, जितेन्द्र चौधरी, अनिल यादव, सत्येन्द्र यादव ने कहा कि उनके बड़े भाई महेंद्र प्रसाद ने अपने छोटे भाई राजेंद्र प्रसाद का लालन-पालन किया था और ऊँची शिक्षा पाने में उनकी मदद की थी। राजेंद्र बाबू ने पटना के टीके घोष एकेडमी में शिक्षा पाकर कलकत्ता विश्वविद्यालय से सन् 1900 में प्रथम श्रेणी में इंट्रेन्स परीक्षा पास की। इस परीक्षा में उन्हें सबसे अधिक अंक मिले। सारे देश में उनकी प्रशंसा हुई।
एक अधिवक्ता के रूप में उनका योगदान अनुकरणीय है। जयन्ती अवसर पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद को नमन करने वालों में मुख्य रूप से रवि यादव, निधि, मेराज अंसारी, मारूत शुक्ल, मार्तण्ड पाण्डेय, राजकुमार सिंह आदि शामिल रहे।
इसे भी पढ़ें: जयन्ती पर याद किये गये डॉ. राजेन्द्र प्रसाद