
प्रदीप तिवारी
लखनऊ। हमारे देश में समय से पहले न सरकार चेतने को तैयार होती है और न हम सुधरने को। नतीजा सबके सामने है। कोरोना के खिलाफ जीती हुई जंग देश हारता हुआ नजर आ रहा है। विकास कि इस अंधी दौर में शायद किसी ने कभी कल्पना की हो कि ऐसा भी दिन आएगा कि सारा सिसटम फेल हो जाएगा और लोग इलाज के लिए तड़पेंगे। रोजाना हजारों की संख्या में लोगों की मौत होगी तो लाखों की संख्या में लोग संक्रमित होंगे। कोरोना की पहली लहर को सरकार ने जिस तरह काबू में किया उसकी पूरी दुनिया में तारीफ हुई। लेकिन इसी देश की जनता सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने लगी। मगर इस बार ऐसा लग रहा है कि सरकार मजाक बनाने वाली जनता के मुताबिक चलने को तैयार है, शायद यही कारण है कि कोरोना के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जगह लोगों की जीविका का तर्क दे रही है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जीवन बचेगा, तभी जीविका की जरूरत होगी।
श्मशान घाट में लगी लाइनें बता रही हालात
कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को तबाही के कगार पर ला दिया है। सरकार की सारी तैयारी धरासायी हो गई हैं। इलाज और आक्सीजन के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। श्मशान में मुर्दों की लाइन लगी हुई है। मुर्दों को भी अपनी बारी आने का इंतजार है। ऐसी भयावकता के बाद भी हम इस महामारी से बचने के लिए केवल सरकार पर निर्भर रहेंगे तो हालात सुधरने वाले नहीं हैं। खुद को अगर बचाना है इसके लिए अब हमें कोविड के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। क्योंकि हमारे आदत हो गई है कि सरकार जबतक लॉकडाउन नहीं लगाएगी हम घर से निकलना बंद नहीं करेंगे। इसी का नतीजा है कि इस बार हम संक्रमण और कोरोना से हुई मौतों के मामले दुनिया को पीछे छोड़ रहे हैं।
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संक्रमण के मामले में भारत ने दुनिया को पीछे छोड़ा
कोरोना की पहली लहर में भारत की तरीफ हो रही थी कि सरकार ने समय से सही कदम उठाया जिससे अन्य देशों के मुकाबले भारत में इस महामारी से कम मौतें हुईं। लेकिन दूसरी लहर जिस तरह तबाही मचाए हुए है उससे लगता है कि इस बार सरकार इस महामारी से बचने के लिए समय से कोई ठोस पहल नहीं की। इसका उदाहरण भी है, महामारी के समय में कुंभ का आयोजन कराने की क्या जरूरत थी। चुनाव जिसे टाला नहीं जा सकता था, मगर इतनी रैलियां करने की क्या जरूरत थी। देश पूरी तरह से महामारी की आग में झोंक उठा है। नतीजा यह है कि भारत में 24 घंटे में संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 14 हजार पर पहुंच गया है, वहीं 3920 मौते हुई हैं। इतने मामले दुनिया के किसी देश में नहीं आए थे।
व्यवस्था सुधारने की जगह हो रही राजनीति
राजनीति बहुत गंदी होती है। यह बात अक्सर सुनी जाती थी, लेकिन महामारी के इस समय में यह देखी भी जा रही है। कोरोना से जहां पूरा देश तबाह हो रहा है, वहीं देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियां इस समय भी राजनीति करने में लगी हुई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए पूरे देश में लॉकडाउन लगाने की वकालत कर रहे, वहीं कांग्रेस शासित राज्यों में दयनीय स्थिति के बावजूद भी बीजेपी शासित राज्यों से बेहतर न तो तैयारी की जा रही है और न ही लॉकडाउन लगाने जैसे कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली का क्या हाल है वह भी सब देख रहे हैं। आक्सीजन की कमी केंद्र और राज्य सरकार आमने—सामने हैं। मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
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