लखनऊ: यूपी में एकबार फिर योगी सरकार का बनने जा रही है। ऐसे में नई कैबिनेट का भी गठन होगा। इसके लिए कयासबाजी भी तेज हो गई है। इस बार योगी कैबिनेट में किन चेहरों को मौका मिल सकता है इस पर चर्चा तेज हो गई है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल की कैबिनेट में कई नई चेहरों को शामिल किया जाएगा, क्योंकि पुराने चेहरों में कई पूर्व मंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ गया है।
योगी सरकार के 11 मंत्री चुनाव हरे
यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां अपार सफलता मिली है, योगी सरकार के 11 मंत्री चुनाव हार गए हैं। वहीं योगी सरकार की नई कैबिनेट को लेकर मंथन शुरू हो गई है। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल की मौजूदगी में मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर मंथन किया गया। यूपी सरकार की नीतियों के दम पर दोबारा जीत दर्ज करने के बाद योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे। फिलहाल 11 मंत्री के चुनाव हारने की वजह से मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों की मानें तो इनमें से कुछ चेहरों पर चर्चा चल रही हैं
इनको मिल सकती है मंत्रिमंडल में जगह
स्वतंत्रदेव सिंह: योगी आदित्यनाथ सरकार में इस बार उप मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के चेहरे को देखा जा रहा है। क्योंकि इस बार जहां डॉ. दिनेश शर्मा ने चुनाव नहीं लड़ा है वहीं केशव प्रसाद मौर्य के कैशांबी के सिराथू से चुनाव हारने की वजह से उप मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार कोई और नजर नहीं आ रहा है।
असीम अरुण: आईपीएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण को पहले ही चुनाव में जीत हासिल करने का तोहफा मिल सकता है। चर्चा है कि योगी कैबिनेट में असीम अरुण को शामिल किया जा सकता है।
दयाशंकर सिंह: योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुकी स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। दयाशंकर सिंह प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष के साथ ही इसबार बलिया से विधायक चुने गए हैं। बता दें कि बीजेपी ने इस बार स्वाति सिंह का टिकट काटते हुए उनके पति दयाशंकर सिंह को बलिया से टिकट दिया था। दया शंकर सिंह चुनाव के दौरान दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी में शमिल कराने में अहम रोल निभाया था। ऐसे में यह माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें मंत्री पद का इनाम दे सकती है।
शलभमणि त्रिपाठी: बीजेपी में काफी सक्रिय रहने वाले मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी को भी योगी की नई कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। शलभमणि त्रिपाठी देवरिया सीट से भारी मतों से विधायक चुने गए हैं। बीजेपी में जनसमस्याओं को लेकर शलभमणि त्रिपाठी काफी सक्रिय रहते हैं। कोरोना काल के दौरान मरीजों की मदद करने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया था। ऐसे में उनके मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा तेज हो गई है।
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राजेश्वर सिंह: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लखनऊ के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह ने भी पहली बार में चुनाव जीतकर साफ सुथरी राजनीति का संकेत दिया है। उन्होंने नौकरी से वीआरएस लेकर भाजपा के टिकट पर लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। ऐसे में उनको भी योगी कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना काफी प्रबल है। राजेश्वर सिंह प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं।
अदिती सिंह: कांग्रेस से भाजपा में आई और रायबरेली सीट से कमल खिलाने वाले अदिती सिंह को भी योगी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। आदिती सिंह के परिवार का रायबरेली सीट पर लंबे समय से कब्जा रहा है। ऐसे में उनके आने से कांग्रेस यहां जहां कमजोर हुई है, वहीं बीजेपी यहां भी कमल खिलाने में सफल हुई है।
नितिन अग्रवाल: पूर्व सपा विधायक नितिन अग्रवाल को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। नितिन अग्रवाल बीजेपी के सहयोग से विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे थे। हरदोई के नितिन अग्रवाल ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन भी किया है ऐसे में उनका कद बढ़ाया जाना तय माना जा रहा है।
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