काठमांडू: नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ राजधानी काठमांडू में सोमवार को ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों और युवाओं (जेन जेड) के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।

सरकार के फैसले से भड़की नाराज़गी

दरअसल, नेपाल कैबिनेट ने 25 अगस्त को आदेश दिया था कि सभी सोशल मीडिया ऑपरेटरों को सात दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद 4 सितंबर को सरकार ने फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एक्स (ट्विटर), रेडिट समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। यही फैसला युवाओं के गुस्से की बड़ी वजह बना और सैकड़ों लोग राजधानी के मैतीघर चौक पर जमा हो गए।

झड़प और कर्फ्यू

प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस, पानी की बौछार, रबर की गोलियां और हवाई फायरिंग का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ते हुए संसद परिसर (न्यू बानेश्वर) में घुस गए। स्थिति बेकाबू होते ही काठमांडू और आसपास के प्रमुख इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया और हालात संभालने के लिए नेपाली सेना को तैनात किया गया।

मौतें और घायलों की स्थिति

ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान 5 लोगों की मौत हुई।

सिविल अस्पताल में 2 और काठमांडू मेडिकल कॉलेज में 1 व्यक्ति की जान गई।

अब तक 15 मौतों की पुष्टि हो चुकी है।

सैकड़ों घायल हुए हैं, जिनमें प्रदर्शनकारी, पत्रकार और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।

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प्रशासन की प्रतिक्रिया

अधिकारियों ने बानेश्वर इलाके को “बेहद तनावपूर्ण” बताया। उनका कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और संसद परिसर में जबरन घुसे, जिसके बाद उन्हें बलपूर्वक हटाया गया। ‘द हिमालयन टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि अन्य की पुष्टि अभी बाकी है।

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