नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने सासंदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई में देरी के लिये आज सीबीआई और प्रवर्तन निदेशलय (ईडी) को फटकार लगायी है। सांसदों और विधायकों के मामलों की जल्द सुनवाई करने के मामले पर आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि 15-20 साल से मामले लंबित हैं। ये एजेंसिया कुछ नहीं कर रही हैं। खासतौर से ईडी सिर्फ संपत्ति जब्त कर रही है। यहां तक कि कई मामलों में आरोपपत्र तक दाखिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मामलों को ऐसे ही लटका कर न रखें। आरोपपत्र दाखिल करें या बंद करें। मामलों में देरी का कारण भी नहीं बताया गया है। अदालतें पिछले दो साल से महामारी से प्रभावित हैं। वो अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं। शीर्ष अदालत ने लंबित मामलों को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने अधिकतर मामलों में रोक लगा रखी है। जांच एजेंसी क्यों नहीं उच्च न्यायालय से रोक हटाने की मांग करती है या उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा रही हैं। अदालत ने कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों में 10 से 15 साल के लिए आरोपपत्र दाखिल ना करने का कोई कारण नहीं है। केवल सम्पत्ति जब्त करने से कुछ नहीं होगा, जांच लंबित रखने का कोई कारण नहीं है।
सीबीआई और ईडी पर बरसा उच्चतम न्यायालय
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